मध्य प्रदेश में 6 वर्षो में 39 बाघों की मौत
भोपाल,7 जुलाई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के नौ में से छह राष्ट्रीय उद्यानों में पिछले छह सालों में 39 बाघों की मौत हुई है। मरने वाले इन बाघों में 21 नर बाघ, 13 शावक और पांच बाघिन शामिल है। सबसे ज्यादा 16 बाघों की मौत कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में हुई।
मध्य प्रदेश की पहचान टाइगर स्टेट के रूप में है। पिछले कुछ वषों में हुई बाघों की मौत ने प्रदेश की इस पहचान को संकट में डाल दिया है। प्रदेश के वन राज्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में मंगलवार को बताया कि प्रदेश में 2004 में बाघों की गणना आरंभ होकर 2005 में पूरी हुई थी।
इस गणना में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में 106, बान्धवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में 58, पेंच राष्ट्रीय उद्यान में 44, पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में 34, सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान में 23, माधव राष्ट्रीय उद्यान में एक, संजय राष्ट्रीय उद्यान में छह और वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में 14 बाघ पाए गए। वर्तमान में इन राष्ट्रीय उद्यानों में कितने बाघ बचे हैं इसका ब्यौरा सरकार के पास नहीं है।
वन मंत्री ने बताया है कि पिछले छह सालों में कुल 39 बाघों की मौत हुई है। इनमें से 16 कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, 12 वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, पांच बान्धवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, तीन पेंच राष्ट्रीय उद्यान, दो पन्ना राष्ट्रीय उद्यान और एक बाघ की मौत सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान में हुई है। वर्ष 2004 में छह, वर्ष 2005 में पांच, वर्ष 2006 में सात, वर्ष 2007 में पांच, वर्ष 2008 में आठ और वर्ष 2009 के पहले छह माह में आठ बाघों की मौत हुई।
मंत्री ने बाघों का ब्यौरा देते हुए स्वीकार किया कि पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की संख्या में कमी आई है। वहां एक भी बाघ नहीं बचा है और दो बाघिनों को कान्हा व बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान से वहां भेजा गया है। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की कमी के कारणों का अध्ययन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।