आम बजट 2009 से जुड़ीं उम्मीदें
वरिष्ठ राजनेता मुखर्जी इससे पहले जनवरी 1982 से दिसंबर 1984 के बीच तीन बार आम बजट पेश कर चुके हैं।
उन्होंने इस साल फरवरी में पेश अंतरिम बजट में अपना एजेंडा जाहिर कर दिया था। लोकसभा में 16 फरवरी को पेश अंतरिम बजट में मुखर्जी ने कहा था, "असाधारण आर्थिक परिस्थितियों की मांग असाधारण कदम उठाने की है। अब यह समय ऐसे ही कदम उठाने का है।" उन्होंने कहा था, "घरेलू अर्थव्यवस्था की प्रतिक्रिया और वैश्विक अर्थव्यवस्था में होने वाले बदलाव को देखते हुए नई सरकार पूर्ण बजट में अतिरिक्त वित्तीय कदम उठाने के बारे में सोच सकेगी।"
विकास दर सबसे चिंता का विषय
ऐसे में सोमवार वह दिन होगा जब मुखर्जी इन वित्तीय कदमों के बारे में विचार रखेंगे। वैसे तो बीते वित्त वर्ष में 6.7 फीसदी की विकास दर को लेकर वित्त मंत्री चिंतित होंगे क्योंकि इससे पहले के लगातार तीन वर्षो में देश के विकास की दर औसत नौ फीसदी रही।
कम विकास दर के बावजूद अतिरिक्त आवंटन के मामले में वित्त मंत्री के हाथ बंधे हुए है। दरअसल, बीते वित्त वर्ष में बजट घाटा बढ़कर छह फीसदी तक पहुंच गया जो कि वर्ष 2007-08 में 2.7 फीसदी था। यद्यपि, मुद्रास्फीति की निम्न दर उन्हें थोड़ी राहत पहुंचा सकती है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।