समलैंगिकों को लेकर भारत में आया फैसला एक रूपांतरकारी कदम !
'इंडिया ओवरकम्स ऐन आर्केइज्म' (पुरातनता से बाहर आया भारत) नामक शीर्षक वाले एक संपादकीय में प्रतिष्ठित समाचार पत्र ग्लोब एंड मेल ने शुक्रवार को लिखा है, "किसी राष्ट्र के शयनकक्षों में राज्य के लिए कोई जगह नहीं है, और समलैंगिक लोग किसी भी अन्य मनुष्य के जैसे ही सम्मान के अधिकारी हैं, भारत का इस तरह का विचार उसके बदलाव का संकेत है। क्योंकि इसी विचार ने कनाडा और अन्य कई पश्चिमी लोकतांत्रिक देशों को बदल डाला है।"
समाचार पत्र ने लिखा है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारत में एक प्रगतिशील विचार को हवा दी है। समाचार पत्र ने लिखा है, "पूरे भारत में समलैंगिक संबंध कल तक एक अपराध था। लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में उस प्रावधान को असंवैधानिक करार दे दिया है। यह एक पुरातनपंथी प्रावधान था। अभी हाल के दिनों तक यह पश्चिमी देशों की किताबों में भी दर्ज था।"
समाचार पत्र ने लिखा है, "यहां तक कि देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अदालत में गृह मंत्रालय के खिलाफ अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि समलैंगिक संबंध को अपराध मानने से इस तरह की गतिविधियां छुपे तौर पर जारी रहती हैं और इस कारण एचआईवी-एड्स को बढ़ावा मिलता है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
*