दो व्यक्तियों को आंतकवादी बताने पर न्यायालय ने नोटिस जारी किए
कथित आतंकवादियों मुहम्मद आरिफ कमर और इरशाद अली की जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए न्यायाधीश एम.सी.गर्ग ने मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील और महत्वपूर्ण बताते हुए अटार्नी जनरल, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है।
मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस और सीबीआई का रुख परस्पर विरोधी रहा।
सीबीआई ने पिछले नवंबर में दायर अपनी रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 2006 में गिरफ्तार दोनों व्यक्ति निर्दोष हैं। जांच एजेंसी ने आरोपियों को फंसाने और हथियारों की फर्जी बरामदगी की साजिश रचने के लिए दिल्ली पुलिस के तीन अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की सिफारिश की।
सीबीआई ने कहा कि उसे दोनों व्यक्तियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला।
उधर पुलिस की विशेष शाखा ने ताजा हलफनामे में दावा किया कि कमर और अली पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के आतंकवादी और जम्मू और कश्मीर इस्लामिक फ्रंट के प्रमुख बेग के संपर्क में थे।
विशेष शाखा ने दावा किया कि बेग से इन दोनों के संपर्को का खुलासा दिवंगत इंस्पेक्टर एम.सी.शर्मा ने किया था।
इन दोनों को फरवरी 2006 में उत्तरी दिल्ली के मुबारक चौक से गिरफ्तार किया गया था और वे तभी से जेल में हैं।
सीबीआई का आरोप है कि दोनों आदमी पुलिस के मुखबिर का काम करते थे और अक्टूबर 2005 में दिल्ली में हुए बम विस्फोटों के बाद परिणाम दिखाने के दबाव में विशेष शाखा ने इनको इन्हें फंसा दिया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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