ऑनलाइन पिंडदान के खिलाफ हैं गया के पंडे
गया (बिहार), 3 जुलाई (आईएएनएस)। हजारों वर्षो से पिंडदान करके करोड़ों लोगों के पितरों की आत्मा को मुक्ति दिला चुके पवित्र शहर गया के पंडों ने बिहार सरकार के ऑनलाइन पिंडदान कराने के फैसले का विरोध किया है।
पवित्र फल्गू नदी के किनारे बसे इस शहर के पंडों का मानना है कि वही पिंडदान पितरों की आत्मा को शांति दिला सकता है, जिसमें उसके परिजन सशरीर गया में मौजूद हों। इस लिहाज से ऑनलाइन पिंडदान कराने का सरकार का फैसला न तो शास्त्र सम्मत है और न ही पिंडदान करने वालों के और पिंडदान कराने वालों के हक में।
गया के पंडों ने सरकार के इस फैसले को पुरातनकाल से चली आ रही धार्मिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों पर आक्रमण करार दिया है।
पिंडदान करने वाले एक पुजारी महेश प्रसाद गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, "हम समझ नहीं पा रहे हैं कि सरकार ने ऑनलाइन पिंडदान शुरू ही क्यों किया। यह संभव नहीं है, क्योंकि पिंडदान के अवसर पर पिंडदान करने वाले की सशरीर मौजूदगी अनिवार्य होती है।"
एक अन्य पंडे राजन सिजुआर ने कहा कि यह उन लोगों के दिमाग की उपज है जो धार्मिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों के बारे में कुछ भी नहीं जानते। उन्होंने कहा, "अमेरिका या यूरोप में बैठा एक व्यक्ति ऑनलाइन पिंडदान कर तो सकता है लेकिन उससे उसके पितरों की आत्मा को शांति नहीं मिल सकती। यह काम गया में आकर ही संभव है।"
उल्लेखनीय है कि बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि सरकार विदेशों में रहने वाले लोगों के लिए वीडियोकांफ्रेंसिंग के जरिए पिंडदान की व्यवस्था करेगी।
मोदी मानते हैं कि वीडियोकांफ्रेंसिंग के माध्यम से पिंडदान करने वाला व्यक्ति अपनी शारीरिक मौजूदगी जाहिर कर सकता है। उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग ने विदेशों में रहने वालों के लिए इस साल से ऑनलाइन पिंडदान की व्यवस्था शुरू कर दी है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार गया वह स्थान है, जहां पिंडदान करके लोग अपने पितरों की आत्मा को शांति दे सकते हैं। भगवान राम और उनकी पत्नी सीता ने राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए गया में ही पिंडदान किया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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