ममता बनर्जी पेश कर सकती हैं घाटे का रेल बजट
नई दिल्ली, 30 जून (आईएएनएस)। किराये में कमी, कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी, राजस्व संग्रह की गति में शिथिलता और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के कारण रेल मंत्री ममता बनर्जी को इस बार घाटे का बजट पेश करने पर मजबूर होना पड़ सकता है।
अनुमानों के मुताबिक पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद द्वारा यात्री किराए में की गई कमी और छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के कारण रेलवे को कुल 17 हजार करोड़ रुपये का राजस्व का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
इसके अलावा बनर्जी यदि बिना किराया बढ़ाए छात्रों और बुजुर्गो को रियायती पास उपलब्ध कराने और अन्य सुविधाओं को बेहतर बनाने का फैसला करती हैं तो इससे वित्तीय स्थिति और भी दयनीय होगी।
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक अंतरिम बजट ने पहले ही यह संकेत दे दिए हैं कि चालू वित्त वर्ष में रेलवे का परिचालन व्यय बढ़कर 88.3 प्रतिशत हो सकता है।
अधिकारियों ने आईएएनएस से कहा, "बिना किराया बढ़ाए जिस तरह की रियायतों की बात की जा रही है उससे लगता है कि परिचालन व्यय का अनुपात बढ़कर 90 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।"
बनर्जी पहले ही कह चुकी है कि वह बिना किराया बढ़ाए वर्तमान 'तत्काल सेवा' और इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन के टूर पैकेजों, भोजन की गुणवत्ता और अन्य यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाएंगी।
कार्यभार संभालने के बाद मीडिया से पहली मुलाकात में बनर्जी ने कहा था, "हमारा लक्ष्य केवल राजस्व इकट्ठा करना नहीं है बल्कि हम यात्रियों की सुविधाओं का भी ख्याल रखेंगे।"
उन्होंने कहा था, "रेलवे की सुविधाओं की गुणवत्ता में काफी गिरावट आई है। भोजन की गुणवत्ता काफी खराब है, रेलगाड़ियों में गंदगी है और शुद्ध पेयजल और प्लेटफार्मो पर न्यूनतम सुविधाओं की स्थिति बेहद खराब है।" उन्होंने कहा था कि यात्रा करने के बाद यात्री को खुशी महसूस होनी चाहिए।
इस पर रेलवे बोर्ड के एक सदस्य ने कहा, "इस साल मंदी के कारण राज्य संग्रह में कमी आई है। किराये में कमी के कारण तीन हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और इसके उलट हमने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू कर कर्मचारियों को 14 हजार करोड़ दिए हैं।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।