फिक्की ने की बिना कृषि के अमेरिका के साथ एफटीए को बढ़ाने की वकालत
फिक्की के चेयरमैन हर्षपति सिंघानिया ने कहा कि इस तरह के विवादास्पद मुद्दे पर मतभेदों को सुलझाने में लंबा समय लगेगा। उन्होंने कहा, "यदि दोनों पक्षों में राजनीतिक इच्छाशक्ति है तो यह एक संभव मामला है।"
सिंघानिया ने उम्मीद जाहिर की कि अगले महीने अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के भारत दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों में एक ठोस परिणाम सामने आएगा। उन्होंने कहा, "इसलिए मैं सोचता हूं कि कुछ क्षेत्रों को सुलझाने की कोशिश पर जोर देना हमारे लिए बेहतर होगा।"
सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ फिक्की के एक प्रतिनिधिमंडल के दौरे के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए सिंघानिया ने कहा कि व्यापारी, सांसद और अधिकारी क्लिंटन के दौरे का कोई ठोस परिणाम लाने के लिए माहौल बनाने हेतु मिल कर काम कर रहे हैं।
सिंघानिया ने कहा कि अमेरिका द्वारा कुछ खास विषयों को दरकिनार कर किए गए एफटीए के कई उदाहरण हैं। इसमें मेक्सिको, अमेरिका और कनाडा के बीच बिना कृषि को शामिल किए किया गया उत्तरी अमेरिका मुक्त व्यापार समझौता (एनएएफटीए) शामिल है। कृषि को दरकिनार इसलिए किया गया, क्योंकि कनाडा ने कृषि को इसमें शामिल किए जाने का विरोध किया था। उसी तरह आस्ट्रेलिया के साथ किए गए एफटीए में चीनी को छोड़ दिया गया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।