समलैंगिकता पर सार्वजनिक बहस की जरूरत : आजाद

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आजाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, "इस मसले के समाधान के लिए सभी पार्टियों के बीच एक व्यापक सहमति होनी चाहिए। सांसदों को इस पर कुछ सवाल उठाने चाहिए और मैं इस मामले में अपने या अन्य लोगों के विचारों को थोपना नहीं चाहता। मैं इस मुद्दे पर सरकार की एक राय और पूर्ण सहमति चाहता हूं।"

आजाद का यह बयान ऐसे समय में आया है जब इस तरह की खबर आई कि केंद्र सरकार भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को रद्द करने और समलैंगिकता को वैध ठहराने पर विचार कर रही है।

आजाद ने कहा, "मैं अपना और अपने मंत्रालय का विचार नहीं जाहिर करना चाहता। यह एक बड़ा मुद्दा है और इसे लेकर नकारात्मक और सकारात्मक दोनों पक्ष हैं। इसमें देश की संस्कृति और रोग व प्रताड़ना जैसी समस्या शामिल है। इस मुद्दे पर एक व्यापक बहस होनी चाहिए।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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