आनंद शर्मा को दोहा दौर की वार्ता सफल होने की उम्मीद (लीड-1)
ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) फोरम की दो दिवसीय बैठक के बाद शर्मा ने पत्रकारों से यह बात कही। बैठक में डब्ल्यूटीओ के कुछ महत्वपूर्ण सदस्य देशों के मंत्रियों से बातचीत भी हुई।
शर्मा ने कहा कि लंबे समय से वार्ता के ठप होने से अनसुलझे समस्याओं में बढ़ोतरी हुई है और इस तरह इससे पूरे 'बहुपक्षवाद' के सिद्धांत को खतरा बढ़ गया है।
शर्मा ने कहा, "हम इस बारे में काफी चीजें सुन रहे थे। इसमें वार्ता के तरीके पर विचार करने या फिर वार्ता प्रक्रिया में नए मुद्दे डालने की बात कही जा रही थी। कुल लोग तो इन वार्ताओं की जरूरत पर ही सवाल उठा रहे थे लेकिन पेरिस और बाली में हुई बैठकों के बाद मैं मानता हूं कि ये मुद्दे खत्म हो गए हैं और अब संभावनाओं का एक सकारात्मक माहौल है। यही कारण है कि सभी मंत्रियों ने वार्ता शुरू करने की भारतीय कोशिशोंकों को स्वीकार किया है।"
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह वार्ता को एक बार फिर बढ़ाना है न कि पुन: शुरुआत करना। वार्ता को आगे बढ़ाने और पुन: शुरुआत में बहुत अंतर है। पुन: शुरुआत से मतलब शून्य से शुरुआत करना है, जबकि सदस्य देशों ने वार्ता को आगे बढ़ाने के आधार के रूप में भारत के दो दस्तावेजों पर विचार करने के प्रस्ताव को स्वीकार किया है। ये दस्तावेज हैं-कृषि और एनएएमए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।