उत्तर भारत में मानसून के इंतजार में हाहाकार, दिल्ली में प्रदर्शन, मणिपुर सूखाग्रस्त घोषित (राउंडअप)

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भीषण गर्मी से त्राहिमाम कर रहे दिल्लीवासियों के पारे को पानी व बिजली की किल्लत ने और भी चढ़ा दिया है। जनता सड़कों पर उतर आई और प्रदर्शन, ट्रॉफिक जाम और बिजली कंपनियों के कार्यालयों पर तोड़फोड़ कर वह अपने गुस्से का इजहार किया।

बिजली और पानी संकट के खिलाफ राजधानी दिल्ली में मयूर विहार, ओखला, राजेंद्र नगर, तिलक नगर और पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में लोगों ने प्रदर्शन किया, ट्राफिक जाम कर दिया और बिजली कार्यालयों में घुसकर तोड़फोड़ की। गुस्साई भीड़ ने शनिवार को ऊर्जा मंत्री ए. के. वालिया के घर के बाहर प्रदर्शन भी किया।

मध्य दिल्ली इलाके के राजेंद्र नगर में रहने वाले जसपाल राज ने कहा, "दो दिनों से न तो बिजली है और न ही पानी। कोई हमारी सुन नहीं रहा है। हमने कई शिकायतें की लेकिन सब व्यर्थ रहीं।"

एक पावर ग्रिड के काम न करने की वजह से पूर्वी दिल्ली, उत्तरी दिल्ली और बाहरी दिल्ली के इलाकों में शुक्रवार को छह से नौ घंटे बिजली गायब रही।

जामियानगर के निवासी परवेज अख्तर ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "जिंदगी नर्क हो गई है राजधानी में। पिछले 48 घंटों में हमें सिर्फ 8 से 10 घंटे ही बिजली मिल पाई है। इनवर्टर काम करना बंद कर चुके हैं। आसपास के बच्चे गर्मियों से त्राहिमाम कर रहे हैं।"

अधिकारियों के मुताबिक बिजली संकट का कारण लोनी और पूर्वी दिल्ली के ग्रिडों में खराबी आना है।

मणिपुर सरकार ने शनिवार को राज्य को सूखाग्रस्त घोषित करते हुए कहा है कि मानसूनी बारिश के काफी कम होने के कारण कृषि पर बुरा असर पड़ा है।

मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया।

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, "विस्तृत अध्ययन करने के बाद मंत्रिमंडल ने राज्य को सूखा प्रभावित घोषित करने का निर्णय लिया है। सूखे से निपटने और किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाने का फैसला लिया है। इसमें 2.07 करोड़ रुपये की शुरुआती लागत से धान के पौधों के लिए नर्सरी का निर्माण भी शामिल है।"

बचाव व आपदा प्रबंधन विभाग को सतर्क कर दिया गया है और अधिकारियों को बारिश नहीं होने के कारण हुए नुकसान का आकलन करने को कहा गया है।

पिछले साल की तुलना में जून के महीने में मणिपुर में 40 फीसदी कम बारिश हुई है। सरकार ने कहा है कि मानसून में देरी के कारण सूखा की स्थिति से निपटने के लिए उसके पास आपदा प्रबंधन योजना है।

इस योजना को कृषि मंत्रालय और सूखा प्रबंधन विभाग ने मिलकर तैयार किया है। प्रभावित इलाकों में जान-माल का कम से कम नुकसान हो इसके लिए कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने को कहा गया है।

योजना में कहा गया है, "आपदा प्रबंधन का लक्ष्य संकट की स्थिति से निपटना है ताकि लोगों पर इसका कम से कम असर पड़े।"

उधर, बिजली की कमी के मद्देनजर पंजाब सरकार ने शनिवार को एक महत्वपूर्ण फैसला किया। सूबे के सरकारी कार्यालयों में एयरकंडीशनरों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई है और दफ्तर का समय बदलकर सुबह 7.30 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की अध्यक्षता में शनिवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस आशय का फैसला लिया गया। बैठक के बाद एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि धान की बुआई के मौसम में किसानों को अधिक से अधिक बिजली मुहैया कराना सुनिश्चित हो सके इसके लिए सरकार ने यह फैसला किया है। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यालयों में एयरकंडीशनरों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई है और दफ्तर का समय बदलकर सुबह 7.30 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक कर दिया गया है।

उन्होंने कहा, "कृषि क्षेत्र में बिजली की मांग और मानसून के आने में हो रही देरी के मद्देनजर राज्य में बिजली के संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने यह फैसला किया है।"

मौसम विभाग के अनुसार मानसून आगे बढ़ रहा है और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में अगले दो तीन दिन में भारी वर्षा हो सकती है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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