रामगढ़ के ग्रामीणों ने सुरक्षा बलों का स्वागत किया (लीड-2)
घने जंगल और नक्सलियों से मुकाबला करते हुए रामगढ़ पहुंचे सुरक्षा बलों के जवानों को ग्रामीणों के सकारात्मक रवैये से भारी आश्चर्य हुआ,यद्यपि अधिकांश ग्रामीण अपने घरों से पलायन कर गए हैं।
इससे पहले पश्चिमी मिदनापुर के लालगढ़ में चल रहे नक्सल विरोधी अभियान के तहत सुरक्षा बलों ने शनिवार को नक्सलियों के गढ़ कहे जाने वाले रामगढ़ को अपने कब्जे में ले लिया। यहां से भागने से पहले नक्सलियों ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एक कार्यालय को आग के हवाले कर दिया।
केंद्रीय अर्धसैनिक बल और राज्य पुलिस बल के जवान घने जंगलों को पार करते हुए और बारूदी सुरंगों को निष्क्रिय करते हुए आगे बढ़े। इस दौरान उनकी नक्सलियों से मुठभेड़ भी हुई। मुठभेड़ के दौरान दोनों ओर से भारी गोलीबारी हुई।
सुरक्षा बलों की यह संयुक्त कार्रवाई बांकुड़ा जिले की सीमा से सटे गोलतोर स्थित शिविर से शुक्रवार को आरंभ हुई थी।
राज्य के पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) राज कनौजिया ने आईएएनएस से फोन पर बातचीत में कहा, "सुरक्षा बलों के जवान रामगढ़ पहुंच चुके हैं। नक्सली वहां से भाग गए हैं। अब वहां कोई नक्सली नहीं है।"
उन्होंने कहा कि इस अभियान के दौरान सुरक्षा बलों का कोई जवान हताहत नहीं हुआ है।
इस महीने की शुरुआत में नक्सलियों ने रामगढ़ पर कब्जा जमा लिया था और अपना 'शासन' आरंभ कर दिया था। बहरहाल, रामगढ़ छोड़ने से पहले नक्सलियों ने कांतापहाड़ी गांव में एक माकपा कार्यालय को आग के हवाले कर दिया।
एक रिपोर्ट के मुताबिक 18 जून को शुरू हुए सुरक्षा बलों के इस अभियान के बाद से अब तक तकरीबन 30,000 ग्रामीण सुरक्षा बलों के भय से अपने-अपने घरों से भाग गए हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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