हिमाचल सरकार ने नाहन फाउंड्री की पुनर्बहाली में केन्द्र से मदद मांगी
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि सीमित संसाधनों के दृष्टिगत राज्य सरकार इस फाउंड्री में स्थित कार्यशाला के रखरखाव की स्थिति में नहीं है। उन्होंने कहा कि चूंकि लोह उत्पाद के क्षेत्र में नाहन फाउंड्री का अपना एक विशिष्ट स्थान है, इसलिए इसे बहाल करना प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण होगा।
प्रो़ धूमल ने कहा कि नाहन फाउंड्री में परिवर्तित होने के पूर्व इसमें सी़ आई़ रेलिंग, ग्रिल, बैंच के पांव, मेन-होल कवर सेट, मलनिकासी पाइप, पाइप फिटिंग, गन्ने के क्रशर, जल भण्डारण टैंक, पॉवर घानियां एवं विभिन्न कृषि उपकरण तथा 15 हॉर्स पॉवर तक की विद्युत मोटरों का निर्माण किया जाता था।
नाहन फाउंड्री की स्थापना वर्ष 1875 में सिरमौर के महाराजा द्वारा की गई थी तथा बाद इसे भारत सरकार तथा महाराजा के संयुक्त उपक्रम का रूप दिया गया। वर्ष 1952 में महाराजा के शेयर भी भारत सरकार ने खरीद लिए तथा इसे 25 अक्तूबर, 1952 को कंपनी अधिनियम के अंतर्गत सार्वजनिक कंपनी लिमिटेड के रूप में पंजीकृत किया गया। सितम्बर, 1964 में भारत सरकार ने इसके मालिकाना हक हिमाचल प्रदेश सरकार को हस्तांतरित किए।
गत कई वषरें से यह फाउंड्री भारी घाटे में चल रही थी, इसलिए इसे जनवरी, 1998 को हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण एवं सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग की कार्यशाला में परिवर्तित किया गया, ताकि यहां इन दोनों विभागों के प्रयोग के लिए आवश्यक सामग्री का निर्माण किया जा सके। वर्तमान में पुरानी मशीनरी एवं प्रशिक्षित श्रम शक्ति की कमी के कारण यहां बहुत कम सामग्री का निर्माण हो रहा है इसलिए यह कार्यशाला भी घाटे में चल रही है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।