बाघों की कम होती संख्या पर मध्य प्रदेश व केन्द्र सरकार को नोटिस
वन्य प्राणी प्रेमी नवनीत माहेश्वरी ने टाइगर स्टेट के तौर पर पहचाने जाने वाले मध्य प्रदेश में बाघों की घटती संख्या को लेकर उच्च न्यायालय जबलपुर में एक जनहित याचिका दायर की है। माहेश्वरी के वकील आदित्य संघी ने आईएएनएस को बताया है कि इस याचिका पर मुख्य न्यायाधीश ए़ क़े पटनायक और अजीत सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए केन्द्र और राज्य सरकार से जानना चाहा है कि उसने बाघों को बचाने के लिए क्या प्रयास किए हैं।
संघी ने बताया है कि अदालत में वन विभाग की ओर से उपस्थित प्रधान वन संरक्षक (वन्य प्राणी) एच़ एस़ पावला ने बाघों के संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों का ब्यौरा दिया है। न्यायालय की ओर से केन्द्र और राज्य सरकार को जारी नोटिस में कहा गया है कि वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 2006 के प्रावधानों का कितना पालन किया गया है, स्पष्ट करें। न्यायालय ने जानना चाहा है कि हर राज्य में स्टेयरिंग कमेटी गठित कर पोचिंग को रोकने के प्रावधान का मध्य प्रदेश में क्या हुआ। साथ ही कोर जोन और बफर जोन के बीच के कॉरीडोर की क्या स्थिति है तथा टाइगर संरक्षण के लिए बनाए जाने वाले फंड का क्या हाल है।
न्यायालय ने एक माह में शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा है कि दोनों सरकारें यह बताए कि बाघ संरक्षण के लिए किस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं और बाघों की संख्या में कमी क्यों आई है।
मालूम हो कि मध्य प्रदेश के बाघ संरक्षित राष्ट्रीय उद्यानों में बाघों की संख्या में तेजी से कमी आई है। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान का तो हाल यह है कि वहां एक भी बाघ नहीं बचा है। इस उद्यान में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए ही दो बाघिनों को बांधवगढ तथा कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से लाया गया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।