कुपोषण रोकने में नाकाम मध्य प्रदेश सरकार चली विदेशी सलाह लेने

By Staff
Google Oneindia News

प्रदेश के आंकड़े बताते है कि कुपोषण का प्रतिशत 60 के आसपास है। बीते साल तो कुपोषण से प्रदेश के चार जिलों खंडवा, सतना, सीधी और श्योपुर में 169 बच्चे काल के गाल में समा गए थे। बच्चों की इन मौतों से सरकार की भी खूब किरकिरी हुई थी।

प्रदेश सरकार अब कुपोषण से मुक्ति पाने के लिए थाईलैंड मॉडल को अपनाने की तैयारी कर रही है। बीते दिनों थाईलैंड के अंतर्राष्ट्रीय पोषण विषेषज्ञ डॉ़ क्राएसिड टोंटीसिरीन ने विदिशा जिले के आंगनवाड़ी केन्द्रों का भ्रमण किया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर कुपोषण को कम करने के लिए सुझाव दिए। उन्होंने बताया कि थाईलैंड में चले प्रयासों से कुपोषण का प्रतिशत आधा रह गया है। इसी आधार पर चौहान ने थाईलैंड मॉडल के अनुरूप प्रदेश में भी कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश महिला बाल विकास विभाग को दिए है।

प्रदेश में कुपोषण के लिए थाईलैंड मॉडल अपनाने के प्रयासों को स्वयं सेवी संगठन गलत करार देते है। खंडवा के स्वयंसेवी संगठन स्पंदन की सीमा प्रकाश कहती हैं कि सरकार जमीनी हकीकत से नजरें चुरा रही है और जरूरत को पूरा करने की बजाए थाईलैंड मॉडल की बात करने लगी है। आज जरूरत महिलाओं और बच्चों को ऐसे पोषण आहार की है जो उनकी सेहत को ठीक रह सके। यह तभी मिल सकता है जब उनकी आय का इंतजाम किया जाए। सिर्फ बाल संजीवनी केन्द्र में कुपोषित बच्चों को कुछ दिन रखकर उन्हें तंदुरूस्त नहीं बनाया जा सकता। आज जरूरत इस बात की है कि सरकार पहले पेट भरने का इंतजाम करें। थाईलैंड मॉडल की बात करना महज लोगों को भरमाने से ज्यादा कुछ नहीं है।

महिलाओं और बच्चों के बीच लंबे अरसे से काम कर रही भोपाल की आरती पांडे गरीबों को बांटे जाने वाले पोषण आहार की गुणवक्ता पर ही सवाल खड़े करती है। उनका कहना है कि आंगनवाड़ी केन्द्रों से ऐसा पोषण आहार मिल रहा है जो बच्चों और महिलाओं को कुपोषण से बचाने की बजाए कुपोषित बना देने वाला है। वे कहती है कि कुपोषित बच्चे को 15 दिन तक पुनर्वास केन्द्र में रखा जाता है, मगर कुछ दिन बाद वह बच्चा फिर उसी हाल में लौट आता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसके पालक के पास रोजगार ही नहीं है तो वह बच्चे को खिलाए क्या। सरकार की जिम्मेदारी है कि पहले रोजगार का इंतजाम करें। ऐसा नहीं होता है तो कुपोषण से भी मुक्ति नहीं मिलेगी। थाईलैंड मॉडल तो महत शिगूफा है।

प्रदेश के महिला बाल विकास की आयुक्त कल्पना श्रीवास्तव स्वयंसेवी संगठनों की राय से सहमत नहीं है। वे कहती है कि कुपोषण को कम करने के लिए सरकारी स्तर पर कारगर प्रयास किए जा रहे है। जहां तक थाईलैंड मॉडल की बात है वह हमारे लिए मददगार साबित हो सकता है। वैसे प्रदेश में जो प्रयास चल रहे है वह भी ठीक थाईलैंड मॉडल की तर्ज पर है। यही वजह है कि थाईलैंड के पोषण विशेषज्ञ ने भी प्रदेश में कुपोषण रोकने के लिए चल रहे प्रयासों की सराहना की है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X