माओवादियों पर प्रतिबंध भारत का अंदरूनी मामला : नेपाल
नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के प्रवक्ता और सूचना व संचार मंत्री शंकर पोखरेल ने कहा, "यह एक संप्रभु देश द्वारा लिया गया निर्णय है।"
उन्होंने कहा, "यह भारत का अंदरूनी मामला है। नेपाल में अभी हमें पूरे परिदृश्य को समझना है। हमारी पार्टी का भारतीय नक्सलियों (माओवादियों) के साथ कोई रिश्ता नहीं है।"
माओवादी सांसद व प्रवक्ता दीनानाथ शर्मा ने भी कहा, "भारतीय माओवादियों पर प्रतिबंध भारत का अंदरूनी मामला है।"
हालांकि शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी दमनकारी तरीके को खारिज करती है और मानती है कि किसी भी समस्या के समाधान के लिए केवल बातचीत ही एक मात्र रास्ता है। उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में दमन के लिए कोई स्थान नहीं है।"
नेपाल में 'जन युद्ध' के दौरान तत्कालीन रॉयल नेपाल आर्मी ने आरोप लगाया था कि माओवादियों की गुरिल्ला सेना को भारतीय माओवादियों, खासतौर से पीपुल्स वार (पीडब्ल्यू) ग्रुप और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) जैसे संगठनों ने प्रशिक्षित किया है। लेकिन हथियार डालने के बाद नेपाली माओवादियों ने कहा था कि भारतीय माओवादियों के साथ उनके वैचारिक रिश्ते जरूर हैं, लेकिन इस मामले में वास्तव में वे शामिल नहीं थे।
हालांकि नेपाल की माओवादी पार्टी ने भारत सरकार द्वारा सोमवार को लगाए गए प्रतिबंध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन एक दिन बाद पार्टी के मुख पत्र 'जनदिशा' ने इस कदम की कड़ी आलोचना की।
इस दैनिक पत्र ने बुधवार को अपने संपादकीय में लिखा है कि इस प्रतिबंध ने भारतीय लोकतंत्र के खोखलेपन को उजागर कर दिया है। यह प्रतिबंध ठीक उसी तरह से अप्रभावी हो जाएगा, जिस तरह से सैन्य दमन का समर्थन करने वाली नेपाली राजशाही और पुरानी संसदीय पार्टियां अप्रभावी हो गईं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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