शांति और अहिंसा से ही देश के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा : गहलोत
मुख्यमंत्री रविवार को नागौर जिले के लाडनूं में जैन विश्व भारती परिसर के सुधर्मा सभागार में आचार्य महाप्रज्ञ के 90वें जन्म दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सत्य के मार्ग पर चलने से ही सभी समस्याओं का समाधान स्वत: हो जाता है। उन्होंने कहा कि आचार्य श्री महाप्रज्ञ ने अहिंसा को लेकर 80 साल तक देश की जो लम्बी यात्रा करके मार्ग-दर्शन दिया है, उससे आने वाली पीढ़ियां प्रेरणा पाकर आगे बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि 10 साल की आयु में जैन मुनि बनना कोई मामूली बात नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत कम लोग देखने को मिलते हैं जो जीवन पर्यन्त त्याग और तपस्या के बल पर युवा पीढ़ी को नई रोशनी दिखाने का काम करते हैं।
उन्होंने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ ने देश को बहुत कुछ दिया है। उन्होंने महाप्रज्ञ के दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन की मंगल कामना करते हुए कहा कि महापुरूषों, महामनाओं, संतो और महात्माओं एवं औलियाओं के जीवन-दर्शन का ही प्रताप है कि देश दिनों दिन तरक्की कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें चाहिये कि हम सभी धर्मों का समान रूप से आदर करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने जब-जब भी मुनि एवं महात्माओं का सानिध्य प्राप्त किया है, उन्हें सुखद अनुभूति हुई है और उनके विचारों को आगे बढ़ाने का प्रयास भी किया है। उन्होंने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ की साल की आयु में भी उनकी वाणी में युवाओं जैसा जोश और शक्ति है और वे आज भी उसी रफ्तार से अपनी ओजस्वी वाणी से खुशी का पैगाम दे रहे हैं।
श्री गहलोत ने कहा कि धर्म और जाति के नाम पर होने वाले दंगों को सख्ती से रोकना होगा और समर्पण व प्रतिबद्घता की भावना से सबको मिलकर एकता और भाईचारे का सन्देश देने की पहल करनी होगी। हमें यह सन्देश गांव-गांव, ढाणी-ढाणी व जन-जन तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार संवेदनशीलता एवं पारदर्शिता के साथ विकास के लिए सकल्पित भावना से जुट गई है और हमने जनता से जो वायदे किए हैं, उन्हें पूरा करके दिखाएंगे। उन्होंने शुद्घ के लिए युद्घ अभियान की जानकारी देते हुए आचार्य महाप्रज्ञ से आर्शीवाद चाहा कि हम राजस्थान को और अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचा सकें। उन्होंने कहा कि लाडनूं के जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय की विशेष पहचान है, जिसे विदेशों में भी जाना पहचाना जाता है। उन्होंने आचार्य महाप्रज्ञ के सन्देश को आत्मसात करने की बात कही।
आचार्य महाप्रज्ञ ने जन्म दिन के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा कि व्यक्ति को इस दिन आत्मावलोकन करके अपने अतीत को देखना चाहिए और भविष्य के लिए आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्म में अध्यात्म और नैतिकता का प्रादुर्भाव है। धर्म के नाम पर धोखा नहीं दिया जाना चाहिए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।