मंडी मध्यस्थता योजना की देनदारियां बांटे केंद्र : धूमल
मुख्यमंत्री प्रो़ प्रेम कुमार धूमल ने केंद्र सरकार से मंडी मध्यस्थता योजना के अंतर्गत सेब और नीम्बू प्रजाति के फलों जैसे आम, किन्नू, माल्टा और संतरे की वर्ष 2000-01 तक रही परम्परा के अनुसार देनदारियां वहन करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत कृषि पर राज्य योजना का आधा परिव्यय भी केन्द्र सरकार को वहन करना चाहिए ।
केंद्रीय कृषि, खाद्य, नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री शरद पवार को लिखे एक पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य सरकार सेब तथा आम जैसे शीघ्र खराब होने वाले फलों की खरीद करती रही है ताकि इनका न्यूनतम बाज़ार मूल्य सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि ये फल राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं और इनके माध्यम से ग्रामीण जनता को रोज़गार एवं स्वरोज़गार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य में वर्ष 1990-91 में मंडी मध्यस्थता योजना आरंभ की गई थी ताकि फल उत्पादकों को उनके उत्पाद का लाभकारी मूल्य मिल सके। इस योजना के तहत फलों की खरीद पर हर वर्ष करोड़ों रुपये व्यय किए जा रहे हैं। वित्त वर्ष 2000-01 तक मण्डी मध्यस्थता योजना की देनदारियों का पचास प्रतिशत केंद्र द्वारा वहन किया जाता था जोकि अब घटाकर कुल खरीद मूल्य का अधिकतम पच्चीस प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे राज्य पर भारी वित्तीय बोझ पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने शरद पवार से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत लाभ उठाने के लिए राज्यों के लिए निर्धारित पात्रता शर्त को हटाने और कृषि तथा संबद्घ क्षेत्रों के लिए राज्य योजना का आधा परिव्यय प्रदान करने का आग्रह किया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।