भारत को जोड़ने के लिए बाघों को बचाने का नया वैश्विक कार्यक्रम
वाशिंगटन, 20 जून (आईएएनएस)। जंगली बाघों को दुर्लभ होने से बचाने के लिए उठाए गए एक कदम के रूप में स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन और विश्व बैंक समूह ने भारत, चीन, इंडोनेशिया, रूस, थाईलैंड और अन्य बाघ वाले देशों को वैश्विक संरक्षण विज्ञान और पेशेवर प्रशिक्षण केंद्रों से जोड़ने की योजना तैयार की है।
वर्जीनिया के फ्रंट रॉयल में शेनैनदोह पर्वत पर स्थित नेशनल जू कंजर्वेशन एंड रिसर्च सेंटर इस प्रस्तावित संरक्षण व विकास तंत्र के लिए शुरुआती केंद्र के रूप में काम करेगा।
स्मिथसोनियन और वर्ल्ड बैंक के बीच शुक्रवार को हुए एक समझौते के तहत यह तंत्र स्थापित किया जा रहा है। इसके तहत सैकड़ों वन रक्षकों को जैव विविधता के प्रबंधन के लिए आधुनिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें जंगली बाघों की आबादी को बढ़ाने और उन्हें संरक्षित करने पर विशेष जोर दिया जाएगा।
विश्व बैंक इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए अगले वर्ष 10 लाख डॉलर से अधिक की राशि खर्च करेगी। इसके अलावा स्मिथसोनियन व विश्व बैंक इस अभियान में अन्य सदस्यों को शामिल कर इस गठबंधन को बढ़ाने और इस कार्यक्रम को लागू करने के लिए अतिरिक्त कोष इकट्ठा करने हेतु मिलकर काम करेंगे। इस सिलसिले में एक 'ईयर ऑफ द टाइगर' शिखर सम्मेलन वर्ष 2010 के दत्तरार्ध में आयोजित किया जाएगा।
विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष राबर्ट बी.जोएलिक ने कहा, "एक साथ काम करते हुए हम बाघों की घटती आबादी पर रोक लगाने के लिए बाघ वाले एशियाई देशों में दर्जनों संस्थानों और सैकड़ों संरक्षणवदियों को एकजुट कर सकते हैं।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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