डकैत घनश्याम केवट को पुलिस ने मार गिराया (लीड-2)
चित्रकूट जिले के जमौली गांव के एक मकान में डाकू घनश्याम छिपा हुआ था। पुलिस ने उसकी घेराबंदी कर ली थी। पुलिस से खुद को घिरा देख घनश्याम उस मकान की दूसरी मंजिल से कूदकर जंगलों की तरफ भाग गया।
करीब 500 पुलिसकर्मियों को चमका देकर वहां से फरार हुआ डाकू घनश्याम जंगल में एक नाले में जाकर छुपा बैठा था। पुलिसकर्मियों ने उसे वहां भी चारों तरफ से घेर लिया और उस पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
पुलिस बल का नेतृत्व करने वाले राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) बृजलाल ने संवाददाताओं को बताया कि पुलिस की तरफ से किए गए ग्रेनेड के हमले से घबराए डाकू ने बाहर निकलने का खतरा (एयर रिस्क) लिया। बाहर निकलते ही पुलिस ने पीछा करते हुए उसकी घेराबंदी करके उसे मार गिराने में सफलता पाई।
लाल ने कहा कि हमारे साथियों की शहादत ने हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाया। जिस कारण हम ऑपरेशन को सफल बना पाए। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन में भाग लेने वाले पुलिसकर्मियों की जिसनी भी प्रशंसा की जाए कम है।
राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) बृजलाल के नेतृत्व में विशेष कार्रवाई दस्ते (एसटीएफ), प्रांतीय सशस्त्र बल (पीएसी) के करीब 500 पुलिसकर्मी डकैत से मुकाबला कर रहे थे।
दो दिनों तक चली इस मुठभेड़ में गुरुवार को एसटीएफ के आरक्षी वीर सिंह सहित पीएसी के कंपनी कमांडर बेनी माधव सिंह, आरक्षी इकबाल और मो. शमीम शहीद हुए जबकि दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पुलिस महानिरीक्षक पीएसी बी.के.गुप्ता और उपमहानिरीक्षक एस.के.सिंह सहित कुल दस पुलिसकर्मी घायल हो गए। सभी घायल पुलिसकर्मियों की हालत स्थिर बताई जा रही है।
इंडो-एशयिन न्यूज सर्विस।