भारत ने की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार की मांग
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी सचिव हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को कहा, "संस्था का पुनर्गठन लंबे अर्से से लंबित हैं और इसलिए अनिवार्य हो गया है।" उन्होंने कहा कि विश्व व्यवस्था में वर्ष 1945 के बाद बहुत बदलाव आ चुका है, जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का गठन हुआ था।
सुरक्षा परिषद की अनौपचारिक पूर्ण बैठक के दौरान न्यायसंगत प्रतिनिधित्व पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, "कोई भी इतना सक्षम नहीं कि इतिहास की गति रोक सके।"
उन्होंने कहा कि कुछ लोग टालमटोल कर या रोड़े अटकाने का प्रयास कर इस वास्तविक बदलाव का विरोध कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वे इस अवश्यंभावी बदलाव में विलंब करने में आंशिक तौर पर कामयाब भी हो सकते हैं। जिसकी वजह से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को अपनी विश्वसनीयता और प्रभाव कुछ हद तक और गंवाना पड़ सकता है। ऐसी गतिविधियों ने बहुलवाद को भी नुकसान भी पहुंचता है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सही मायने में समसामयिक विश्व की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करना चाहिए, जो सिर्फ नए स्थायी सदस्यों से ही संभव है और इस प्रकार वह अपनी विश्वसनीयता, वैधता और प्रतिनिधित्व बढ़ा सकती है।
पुरी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिष में सदस्य संख्या बढ़ाकर 25 करने की पेशकश की। उन्होंने कहा कि इनमें 11 स्थायी और 14 अस्थायी सदस्य हो सकते हैं।
उन्होंने सुझाव दिया कि छह नए स्थायी सदस्यों में से दो-दो सदस्य एशिया और अफ्रीका से जबकि एक-एक सदस्य लातिन अमेरिका तथा पश्चिमी यूरोपी और अन्य समूह (डब्ल्यूईओजी)का होना चाहिए। चार अतिरिक्त अस्थायी सीटें अफ्रीका, एशिया, पूर्वी यूरोप और लातिन अमेरिका में बांट दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को कारगर और प्रभावी बनाने की जरूरत के प्रति पूरी तरह सचेत है।
पुरी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्राथमिक जिम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बरकरार रखने की है। उन्होंने कहा कि ऐसे में यह सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है कि यह संस्था कारगर ढंग से कार्य करे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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