मुखर्जी का राजकोषीय घाटा कम करने के साथ विकास पर जोर

By Staff
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बजट से पूर्व राज्यों के वित्त मंत्रियों के एक सम्मेलन में मुखर्जी ने कहा, "लंबे समय तक अधिक राजकोषीय घाटा केंद्र व राज्य सरकारों के लिए ठीक नहीं है।"

उन्होंने कहा, "बगैर राजकोषीय घाटा बढ़ाए हमें अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और उसे गति देने के लिए विभिन्न तरीकों और रास्तों पर विचार करना पड़ेगा। हमें जल्द से जल्द वित्तीय मजबूती की प्रक्रिया को बहाल करना होगा।"

मुखर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार के वित्तीय राहत पैकेज से केंद्र के राजकोषीय घाटे पर असर पड़ा है जो वर्ष 2008-09 में बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.2 प्रतिशत हो गया है।

मुखर्जी ने कहा कि राज्यों को अगले वर्ष एक अप्रैल से माल और सेवा कर को लागू करने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। यह देश के आथिर्क सुधार कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

उन्होंने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और वित्तमंत्रियों से इस संबध में लंबित सभी मुद्दों को निपटाने का अग्रह किया।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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