बैंक ब्याज दरों में कटौती पर विचार करने को राजी : मुखर्जी
देश के वित्तीय क्षेत्र की समीक्षा बैठक के बाद मुखर्जी ने संवाददाताओं को बताया, "वे इस संभावना को टटोलने पर राजी हो गए हैं।"
इससे पहले बैंक अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश के समग्र विकास का लाभ आम लोगों तक पहुंचाना सुनिश्चित करने के लिए यह बहुत जरूरी है कि उचित दरों पर ऋण मिले।
मुखर्जी ने कहा कि वित्तीय मध्यस्थ होने के नाते बैंकों को उपयुक्त दरों पर ब्याज उपलब्ध कराना ही होगा। उन्होंने कहा कि देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बैंकों का बोझ कम करने के लिए प्रमुख दरों में कटौती करने के साथ ही तरलता बढ़ाने के अनेक उपाय किए गए लेकिन उनका अपेक्षित असर दिखाई नहीं दे रहा है।
मुखर्जी ने यहां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ एक बैठक में कहा, "सितम्बर 2008 और अप्रैल 2009 के बीच आरबीआई ने मुख्य दरें घटाईं और साथ ही बैंकों की मदद के लिए नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) व स्टैटुटरी लिक्वि डिटी रेशियो (एसएलआर) में भी कमी की।"
उन्होंने कहा, "आज हमें अपनी अर्थव्यवस्था से काफी उम्मीदें हैं। सरकार और आरबीआई द्वारा उठाए गए कदमों की वजह से पिछले वर्ष की अंतिम तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर 5.8 फीसदी थी और चालू वर्ष 2008-09 की सालाना विकास दर 6.7 फीसदी के आसपास रही।"
उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार द्वारा उठाए गए विकास उन्मुख कदमों की बदौलत अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार होगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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