यूरोपीय संसद के चुनाव में रूढ़िवादियों ने समाजवादियों को हराया
समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार टीएनएस द्वारा आयोजित एक सर्वेक्षण में यूरोपीय संसद की 736 सीटों में से यूरोपियन पीपुल्स पार्टी (ईपीपी) को 264 सीटें दी गई हैं।
सर्वे में संसद में दूसरे सबसे बड़े गुट यूरोपियन सोशलिस्ट को 155 और 165 सीटों के बीच रहने की संभावना व्यक्त की गई है। लिबरल और डेमोक्रेट गठबंधन को 78 से 84 के बीच सीटें मिलने की संभावना व्यक्त की गई है।
इस चुनाव में केवल 43 प्रतिशत वोट पड़े हैं। यह प्रतिशत अभी तक हुए चुनावों में सबसे कम है। पुर्तगाल के कंजरवेटिव जोजे मैनुअल बारोसा को यूरोपियन आयोग के अध्यक्ष पद के दूसरे कार्यकाल के लिए बहुमत मिलने की संभावना को बल मिला है। उनका मौजूदा कार्यकाल सर्दियों में समाप्त होने वाला है।
यूरोपीय संघ के बड़े देशों में वामपंथी पार्टियों के खराब प्रदर्शन के कारण ईपीपी की जीत हुई है।
जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी को आशा के विपरीत केवल 23 प्रतिशत मत हासिल हुए हैं। चांसलर एंजेला मार्केल के सत्तारूढ़ रूढ़िवादी क्रिश्चियन डेमोक्रेट और क्रिश्चियन सोशल यूनियन को करीब 42 प्रतिशत मत मिले हैं।
फ्रांस में सोशलिस्टों को और तगड़ा झटका लगा है। अनुमानों के विपरीत उन्हें केवल 17.5 प्रतिशत वोट मिले हैं। पिछली बार के चुनावों में हासिल 28.9 प्रतिशत वोटों की तुलना में यह काफी कम है। राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी के यूनियन फॉर पापुलर मूवमेंट को करीब 30 प्रतिशत वोट मिले और वह स्पष्ट विजेता के रूप में उभरे हैं।
इटली में प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी को भी विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी की तुलना में बढ़त मिलने की संभावना है।
परंतु ब्रिटेन में प्रधानमंत्री गोर्डन ब्राउन की लेबर पार्टी को कंजरवेटिव पार्टी से हार का सामना करना पड़ा है। आयरलैंड,ग्रीस और फिनलैंड सहित अन्य स्थानों पर भी सत्तारूढ़ पार्टियों को पराजय का सामना करना पड़ा है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।