भारतीय किसानों के लिए
अरुण कुमार
वाशिंगटन, 9 जून (आईएएनएस)। बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के दो करोड़ डॉलर के योगदान से विश्व बैंक भारत सहित विकासशील देशों के ग्रामीण इलाकों में वित्तीय सुविधाओं को बढ़ाने के लिए कृषि वित्तीय सहायता सुविधा की स्थापना करेगा।
विश्व बैंक ने सोमवार को कहा कि कर्ज की कमी के इस दौर में यह सुविधा विकासशील देशों में बैंकों और गैर बैंकिंग संस्थानों को ग्रामीण इलाकों में बचत, कर्ज और बीमा जैसी वित्तीय सेवाओं के विस्तार में सहायता देगी।
घोषणा में यह स्वीकार किया गया कि मौजूदा संकट का सबसे अधिक प्रभाव गरीबों पर ही पड़ा है। फाउंडेशन की ओर से गरीबों के लिए वित्तीय सेवाओं के उप निदेशक कार्लोस क्यूवास ने कहा कि भारतीय ग्रामीण इलाकों में बैंकों का विस्तार अधिक नहीं है। भारत के 45 प्रतिशत छोटे किसानों के पास कोई बचत खाता नहीं है और 69 प्रतिशत के पास कर्ज का कोई खाता नहीं है।
उन्होंने कहा कि इससे साल में केवल एक बार आय अर्जित करने वाले गरीब किसानों को अपनी नकदी सुरक्षित रखने और उसका प्रबंधन करने में सहायता मिलेगी।
विश्व बैंक के ग्रामीण वित्त सलाहकार रेनाटे किलोपिंगर ने कहा,"गरीबी कम करने के उपाय के रूप में हमें वित्तीय सेवाओं के स्थाई उपयोग को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।"
उन्होंने कहा कि इससे छोटे किसान निवेश से उत्पादकता बढ़ाने और नई तकनीकों और सेवाओं के उपयोग में सक्षम हो सकेंगे।
वित्तीय संकट से पहले दुनिया के करीब एक अरब छोटे किसानों तक वित्तीय सेवाओं की पहुंच काफी कम थी। वित्तीय संकट के बाद से यह और कम हुई है।
विश्व बैंक ने कहा कि अधिकांश विकासशील देशों के ग्रामीण इलाकों में वित्तीय सेवाओं के सबसे बड़े स्रोत सहकारी बैंक भी महत्वपूर्ण सेवा प्रदाता के रूप में नहीं उभर सके हैं।
विश्व बैंक कई देशों में वित्तीय सेवा क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने में सहायता दे रहा है। उसने ग्रामीण क्षेत्र में भी सीधा निवेश किया है। वित्तीय वर्ष 2008 में बैंक ने 28 ग्रामीण वित्तीय परियोजनाओं में 61.3 करोड़ डॉलर का निवेश किया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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