पाकिस्तानी सेना को उत्तर पश्चिम में लंबी लड़ाई लड़नी होगी !
एक अन्य संपादकीय में लिखा गया है कि यदि वर्तमान परिस्थिति के साथ मेहनत व योजनाबद्ध तरीके से निपटा गया तो अतीत की गलतियों से हुए नुकसान की भरपाई की जा सकती है।
द न्यूज ने 'टू सून टू से (कहना जल्दबाजी होगी?)' शीर्षक वाले अपने संपादकीय में लिखा है, "यदि इस क्षेत्र में शांति की कोई गारंटी देनी है तो सेना को यहां लंबे समय तक रुकना होगा। बीच में ही सैनिकों के बैरकों में लौटने से ठीक वही होगा, जिसे हम नहीं चाहते।"
यह संपादकीय सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी के गुरुवार के उस बयान की प्रतिक्रिया में लिखा गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत (एनडब्ल्यूएफपी) के स्वात जिले में परिस्थिति सुरक्षा बलों के पक्ष में बदल रही है।
द न्यूज ने लिखा है कि स्वात और उसके आसपास के जिलों के नागरिक प्रशासन को खुद को पुनर्गठित करने में महीनों का वक्त लगेगा और इस पूरी प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा की जरूरत होगी।
इसके अलावा स्वात और एनडब्ल्यूएफपी के दो अन्य जिलों से विस्थापित हुए कोई तीस लाख नागरिक अपने घरों को लौटना चाहते हैं। घर वापसी के दौरान और घर लौटने के बाद भी उन्हें सुरक्षा की जरूरत होगी।
समाचार पत्र ने लिखा है कि नागरिक प्रशासन के अधिकारी छह महीने से एक वर्ष तक क्षेत्र में सेना की उपस्थिति के बारे में चर्चा कर रहे हैं। उनकी यह सोच नाजायज नहीं है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।