हाफिज सईद का निकट सहयोगी है मदनी : पुलिस (लीड-1)
विशेष शाखा के संयुक्त पुलिस आयुक्त पी.एन. अग्रवाल ने शुक्रवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि नेपाल में लश्कर के सरगना के तौर पर काम करते हुए मदनी भारतीय युवकों को झांसा देकर आतंकवादी गतिविधियों के प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भेजा करता था।
अग्रवाल ने कहा, "मदनी लश्कर प्रमुख सईद का खास सहयोगी रहा है। 1998 में इस संगठन में शामिल होने के बाद से वह सईद से लगातार मिलता रहा है।" मदनी को खुफिया जानकारी के आधार पर गुरुवार को कुतुबमीनार के निकट गिरफ्तार किया गया। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है।
अग्रवाल ने बताया कि मदनी भारत में काम कर रहे लश्कर के सहयोगियों को धन सौंपने के लिए गुरुवार को काठमांडू से भारत आया था। दिल्ली आने का उसका एक मकसद और भी था। वह दो युवकों को आतंकी गतिविधियों के प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भेजने वाला था। पुलिस के मुताबिक वह भारत में काम कर रहे लश्कर के अपने सहयोगियों को नकली मुद्रा के रूप में धन मुहैया कराना चाहता था।
पुलिस ने मदनी के पास से 8000 डॉलर, 50,000 रुपये कीमत की जाली भारतीय मुद्रा, 4067 रुपये मूल्य की जाली नेपाली मुद्रा, नेपाली नागरिकता से जुड़ा पहचानपत्र, नेपाली ड्राइविंग लाइसेंस, ट्रेन टिकट, पाकिस्तान और नेपाल में किए गए फोन की एसटीडी/आईएसडी पर्चियां और कई अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
मदनी बहुत शातिर अपराधी है। आतंकवादियों का गिरोह चलाने वाले इस कुख्यात अपराधी को हिंदी, उर्दू, अरबी, अंग्रेजी, बांग्ला और नेपाली भाषाएं बोलनी आती हैं।
मदनी का जन्म बिहार के मधुबनी जिले में हुआ था। वह लगभग 20-25 साल पहले परिवार सहित नेपाल चला गया था। उसका एक भाई-हफीज मोहम्मद जबैर (40) कतर में लश्कर के लिए काम करता है।
नेपाल पहुंचकर मदनी ने सपतारी में 1995 में एक मदरसा शुरू किया। इसके एक साल बाद उसने राजधानी काठमांडू में भी एक मदरसा शुरू किया। अपनी करतूतों पर पर्दा डालने के लिए मदनी ने 2000 में काठमांडू में एक ट्रेवल एजेंसी शुरू की।
वर्ष 2008 में लश्कर ने मदनी को दो व्यक्तियों को खोजने का काम दिया था। मदनी को कहा गया था कि एक व्यक्ति कंप्यूटर का जानकार हो और दूसरा दिल्ली, मुंबई, कोलकाता या फिर चेन्नई विश्वविद्यालय का स्नातक हो।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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