ओबामा ने अमेरिका-इजरायल के रिश्ते को अटूट बताया (लीड-2)

By Staff
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ओबामा दुनिया के 1.5 अरब मुसलमानों के लिए काहिरा में आयोजित अपने बहुप्रतीक्षित व्याख्यान में बोल रहे थे। जर्मनी के बुशेवाल्ड में नाजी यातना केंद्र के अपने शुक्रवार के प्रस्तावित दौरे का हवाला देते हुए उन्होंने यहूदी विरोध की निंदा की और होलोकास्ट से इंकार को 'निराधार, अज्ञानता भरा और घृणापूर्ण' कहा।

ओबामा ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि फिलीस्तीनी लोगों की स्थिति दयनीय है। उन्होंने कहा कि फिलीस्तीनी लोगों के स्वाभिमान, अवसर और स्वराष्ट्र की वैधानिक मांग से अमेरिका मुंह नहीं फेरेगा।

ओबामा ने कहा कि फिलीस्तीनी लोगों को हिंसा का रास्ता त्याग देना चाहिए। हिंसा और हत्याओं के जरिए किया जाने वाला प्रतिरोध गलत है और वह सफल नहीं होता।

ओबामा ने इजरायली बस्तियों के विस्तार का भी विरोध किया। उन्होंने कहा, "अमेरिका इजरायली बस्तियों के लगातार विस्तार को स्वीकार नहीं करता है।"

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "बहुत आंसू बह चुके। काफी खून बह चुका। अब हम सभी की जिम्मेदारी है कि उस दिन के लिए काम करें जब इजरायली और फिलीस्तीनी माताएं अपने बच्चों को बिना किसी भय के बड़ा होते देख सकें।"

ओबामा ने अपने भाषण में कहा कि वह मुस्लिम देशों के साथ आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करेंगे।

ओबामा ने कहा, "अमेरिका और पूरी मुस्लिम दुनिया के व्यापारियों और सामाजिक संस्थाओं के बीच संबंध मजबूत बनाने का रास्ता तलाशने के लिए हम इस वर्ष एक सम्मेलन आयोजित करेंगे।" उन्होंने मुस्लिम देशों में प्रौद्योगिकी के विकास और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए एक नए कोष की स्थापना की घोषणा की।

ओबामा ने आर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कांफ्रेंस के सहयोग से पोलियो की समाप्ति के एक नए अंतर्राष्ट्रीय प्रयास को आरंभ करने की भी घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने मुस्लिम देशों में बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने की बात कही।

लेकिन ओबामा ने ईरान और अन्य देशों से परमाणु हथियार कार्यक्रमों को छोड़ने का आग्रह भी किया। उन्होंने ईरान में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई एक सरकार को उखाड़ फेंकने में अमेरिका की भूमिका को स्वीकार किया।

ओबामा ने कहा कि परमाणु हथियारों के बारे में अमेरिका की चिंताएं बहुत स्पष्ट हैं। वह मध्य पूर्व में परमाणु हथियारों की होड़ को रोकना चाहता है। ओबामा ने कहा कि किसी भी देश को इस बात के चयन का अधिकार नहीं है कि किस देश के पास परमाणु हथियार हो और किसके पास न हो।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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