कर्नाटक में आडवाणी नदारद, छाए रहे अटल
बेंगलुरू, 31 मई (आईएएनएस)। कर्नाटक की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार का एक साल पूरा हो गया है। बीते एक साल में राज्य में बहने वाली कावेरी नदी में काफी पानी बह चुका है। एक साल पहले बी. एस. येदियुरप्पा ने जब मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो पूरा शहर पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के पोस्टरों से पटा पड़ा था लेकिन राज्य की भाजपा सरकार का एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के अवसर पर यहां आयोजित विकास संकल्प सम्मेलन में आडवाणी लगभग नदारद रहे और छाए हुए दिखे पूर्व प्रधानमंत्री और पार्टी के प्रथम पुरूष अटल बिहारी वाजपेयी।
यूं तो इस भव्य आयोजन के मौके पर पूरा शहर पोस्टरों से पटा पड़ा था। लेकिन अधिकांश पोस्टरों में वाजपेयी ही नजर आए, जबकि आडवाणी इक्का- दुक्का पोस्टरों में ही नजर आए।
गौरतलब है कि साल भर पहले येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान पूरा शहर आडवाणी के पोस्टरों से पटा हुआ था। पिछले साल हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी आडवाणी ही छाए हुए थे लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी हार का असर यहां यह दिखा कि आडवाणी पोस्टरों से नदारद रहे और उनकी जगह वाजपेयी छाए रहे।
यही नहीं, येदियुरप्पा सरकार ने वाजपेयी के नाम से प्रदेश में एक योजना भी चलाई है। इस योजना का नाम है अटल सारिके यानी अटल परिवहन। इस योजना के तहत चलाई जाने वाली बसों में गरीब लोगों को टिकट की आधी दर पर सफर करने को मिलेगा।
सरकार का एक वर्ष पूरा होने के मौके पर आयोजित इस कार्यक्रम में एक बात और उल्लेखनीय रही। पार्टी का कोई भी केंद्रीय नेता इस कार्यक्रम में नहीं आया। न आडवाणी और न ही भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह। इसे लेकर तमाम तरह की अटकलें भी लगाई गईं। केंद्रीय नेता के रूप में देखा जाए तो सिर्फ पार्टी महासचिव अनंत कुमार ही नजर आए, जो मूलत: कर्नाटक के ही हैं।
लोकसभा चुनाव मे भाजपा को अन्य राज्यों में भले ही करारी हार मिली हो लेकिन कर्नाटक में पार्टी की भारी जीत ने येदियुरप्पा के चेहरे की रंगत और पार्टी के अंदरूनी समीकरण दोनों ही बदल दिए हैं। गुजरात के विकास के माडल का यहां किसी ने जिक्र नहीं किया। यहां तो सिर्फ येदियुरप्पा का वन मैन शो ही नजर आया। हाल ही हुए लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 28 में से 19 और सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में से पांच को जीतकर येदियुरप्पा ने न सिर्फ अपनी सफलता के झंडे गाड़े हैं बल्कि आपरेशन कमल के जरिए विधानसभा में भी अपनी सरकार को मजबूत स्थिति में ला दिया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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