आस्ट्रेलिया में भारतीयों पर हमले बढ़े, छात्र निकालेंगे शांति रैली (राउंडअप)

By Staff
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इस बीच बॉलीवुड सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने मनोरंजन जगत में उनके योगदान के लिए आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय द्वारा दी जा रही डाक्टरेट की मानद उपाधि को अस्वीकार करने का फैसला किया है।

मेलबर्न में 'आस्ट्रेलियाई भारतीय छात्र महासंघ' (एफआईएसए) ने रविवार को यहां एक शांति रैली आयोजित करने का निर्णय लिया है। एफआईएसए ने रैली आयोजित करने का निर्णय शनिवार को लिया। इससे पहले शुक्रवार भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री केविन रूड से बात की थी और उनसे आस्ट्रेलिया में भारतीयों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने की अपील की थी।

एफआईएसए ने कहा कि रैली की शुरुआत रविवार सुबह रॉयल मेलबर्न अस्पताल से होगी और विक्टोरियन पार्लियामेंट हाउस जाकर समाप्त होगी। अंत में रैली में शामिल सभी लोग मोमबत्ती जलाएंगे।

एफआईएसए द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि रैली का उदेश्य भारतीयों के खिलाफ हो रही हिंसा के प्रति लोगों को जागरूक करना है। संगठन ने आस्ट्रेलियाई नागरिकों से भी समर्थन की अपील की है।

उधर सिडनी में रहने वाले हृदय रोग विशेषज्ञ यदु सिंह ने कहा कि यहां भारतीयों पर हिंसक हमले की घटनाओं में तेजी आई है। एक महीने में भारतीय छात्रों के साथ मारपीट की कम से कम 20 घटनाएं सामने आई हैं लेकिन कई भारतीय छात्रों ने भय की वजह से पुलिस में मामले दर्ज नहीं करवाए हैं।

आस्ट्रेलियाई समाचार पत्र 'सिडनी मार्निग हेराल्ड' ने सिंह के हवाले से कहा है कि गत 12 महीने में भारतीय छात्रों पर 100 से अधिक हमले हो चुके हैं।

सिंह ने कहा कि हमलावर यह जानते हैं कि कम ही पीड़ित घटना की शिकायत करेंगे। उन्होंने कहा कि कई भारतीय छात्र प्राथमिकी दर्ज करवाने से डरते हैं क्योंकि इससे उनके स्थायी निवासी बनने की संभावना खतरे में पड़ सकती है।

सिडनी में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने भारतीय छात्रों की समस्याओं को सुलझाने के लिए एक समिति गठित की है। सिंह को इस समिति का प्रमुख बनाया गया है।

उल्लेखनीय है कि आस्ट्रेलिया में 80,000 से अधिक भारतीय छात्र रहते हैं।

इस बीच ब्रिस्बेन की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्न ोलॉजी से मिलने वाले मानद डाक्टरेट की उपाधि को स्वीकार करने के लिए अमिताभ बच्चन पिछले सप्ताह तैयार हो गए थे लेकिन अब उन्होंने अपने निर्णय पर पुनर्विचार किया है। उन्हें जुलाई में यह सम्मान ग्रहण करना था।

अपने ब्लॉग में अमिताभ ने लिखा है,"मेरा उद्देश्य संस्थान का अपमान करना नहीं है, जिसने मुझे सम्मान दिया। परंतु वर्तमान हालात में जहां मेरे देश के नागरिकों से अमानवीय बर्ताव हुआ, मेरा मन इस सम्मान को स्वीकार करने की अनुमति नहीं देता।"

उन्होंने लिखा है,"क्या मैं अपनी समझ से सही कर रहा हूं? यदि हां तो तब सम्मान को अस्वीकार करने का मेरा फैसला न्यायोचित है या नहीं, यह प्रश्न मैं लोगों के सामने रख रहा हूं और उनके विचारों से मुझे सही निर्णय लेने में मदद मिली तो मैं आभारी रहूंगा।"

उल्लेखनीय है कि आस्ट्रेलिया के हाल के दिनों में भारतीय छात्रों पर हमले की लगातार कई घटनाएं हुईं हैं।

उधर आस्ट्रेलिया में रहने वाले और वहां से दुखद यादों के साथ वापस लौटे भारतीयों का कहना है कि भारतीय छात्रों पर नस्लीय टिप्पणियां वहां आम हैं और हाल ही में उन पर हुई हमलों की घटनाएं नई नहीं हैं।

मेलबर्न और सिडनी में भारतीय छात्रों पर हमले की घटनाओं से कई छात्रों का सपना टूट जाता है और वे उच्च अध्ययन को बीच में ही छोड़ने को बाध्य होते हैं।

प्रबंधन का पाठ्यक्रम बीच में ही छोड़कर भारत वापस लौटने वाले निशांत जैन ने आईएएनएस से कहा कि उन्होंने केवल दो महीनों में सिडनी इसलिए छोड़ दिया क्योंकि वे वहां के हिसाब से ढल नहीं पा रहे थे। निस्संदेह आपको बराबरी का अधिकार और अन्य सभी विशेषाधिकार है लेकिन कई अवसरों पर गोरे लोग आपकी एशियाई उत्पत्ति को निशाना बनाते हैं।

पंजाब के जीरकपुर के निवासी जैन ने कहा कि शहरों की अपेक्षा उपनगरों में हालात और खराब हैं, जहां नस्लीय टिप्पणियां आम हैं और समस्या यह है कि आप कुछ नहीं कर सकते।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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