दुश्मन पर नजर रखने में सक्षम अवाक्स वायु सेना में शामिल (लीड-1)
रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने नई दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर औपचारिक रूप से नए रूप में तैयार आईएल-76 विमान को वायु सेना के बेड़े में शामिल किया।
इस मौके पर वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल फली होमी मेजर ने संवाददाताओं से कहा कि अपनी मारक क्षमता को सूक्ष्म बनाने के लिए सही समय पर खुफिया जानकारी चाहिए जो अवाक्स मुहैया कराता है। उन्होंने कहा कि अवाक्स हमारी सैन्य रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
उल्लेखनीय है कि शेष दो अवाक्स की आपूर्ति इस वर्ष के अंत तक होने की संभावना है।
अवाक्स दुश्मन के विमानों का पता लगाने और दुश्मन के हवाई संचार को सुनने में सक्षम है। इस प्रणाली को विशाल परिवहन विमान आईएल-76 में लगाकर उसे नया रूप दिया गया है।
यह आकाशीय जानकारी के अलावा दुश्मन की धरती पर होने वाली सैन्य तैयारियों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने में सक्षम है। इस तरह अवाक्स वायु सेना की मारक क्षमता को काफी मजबूती प्रदान करता है। एक तरह से यह किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए सचेत कर देता है।
वायु सेना प्रमुख ने कहा, "हम इसका पहली बार इस्तेमाल कर रहे हैं और हमें इसकी कितनी जरूरत है इसका आकलन करने के लिए कुछ समय चाहिए। लेकिन देश के आकार को देखते हुए हमें और अवाक्स की जरूरत है।"
एंटनी ने कहा, "इस परियोजना पर वर्ष 2004 में हस्ताक्षर किए गए थे.. पांच वर्ष लंबा अरसा होता है..मुझे उम्मीद है कि रूस और इजरायल की सरकारों और हमारे लोगों द्वारा की गई कड़ी मेहनत के बाद शेष दो अवाक्स हमें समय पर मिल जाएंगे।" समारोह में इजरायल और रूस के राजदूत भी मौजूद थे।
अवाक्स परियोजना दरअसल भारत, रूस और इजरायल के बीच हुआ त्रिपक्षीय सौदा है। वर्ष 2004 में तीन अवाक्स का सौदा 1.1 अरब रुपये में हुआ था।
अवाक्स के बेड़े में शामिल होने के बाद भारत अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, जापान, आस्ट्रेलिया और तुर्की की श्रेणी में आ गया है जो इस विशिष्ट प्रणाली से लैस हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।