राष्ट्रगान के साथ छेड़छाड़ का अधिकार किसी को नहीं : सर्वोच्च न्यायालय (लीड-1)
न्यायमूर्ति वी.एस. सिरपुरकर और न्यायमूर्ति आर.एम. लोढ़ा की अवकाशकालीन खंडपीठ ने 'रण' का प्रदर्शन रोकने संबंधी सेंसर बोर्ड के आदेश को चुनौती देने संबंधी वर्मा की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही।
खंडपीठ ने कहा, "हमने गीत में लिखे गए शब्दों को पढ़ा है। शब्दों से यह गीत नकारात्मक असर छोड़ता है। इससे यह साबित होता है कि राष्ट्रगान की हर एक पंक्ति को गलत साबित करने की कोशिश की गई है। किसी को भी राष्ट्रगान के साथ छेड़छाड़ का अधिकार नहीं है।"
खंडपीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि फिल्म के प्रदर्शन की इजाजत के संबंध में आठ मई को सेंसर बोर्ड द्वारा लिए गए फैसले को किसी भी हाल में नहीं बदला जा सकता। सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म प्रोमो के प्रदर्शन पर रोक लगा रखी है।
सेंसर बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने विवादास्पद गाने को जारी करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था और कहा था कि इसमें राष्ट्रगान के साथ छेड़छाड़ की गई है।
साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने वर्मा से कहा कि वह उनकी फिल्म 'रण' का प्रदर्शन रोकने संबंधी सेंसर बोर्ड के आदेश को चुनौती देने के लिए सिनेमेटोग्राफी कानूनों के तहत बने एक न्यायाधिकरण से मिलें।
सेंसर बोर्ड ने कहा है कि वह तब तक रण को रिलीज करने की अनुमति नहीं दे सकता जब तक उसमें से वह विवादास्पद गीत न हटा दिया जाए जिसमें राष्ट्रगान के हिस्सों का प्रयोग किया गया है। वर्मा ने ऐसा करने से साफ इंकार कर दिया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।