मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार को फिर आई जनता की याद
शिवराज सरकार प्रदेश में आचार संहिता के खत्म होते ही जनता की समस्याओं के खात्मे के लिए योजनाएं बनाने लगी है और सरकारी मशीनरी पर लगाम कसने की कोशिशें तेज हो गई है।
प्रदेश की 29 सीटों में से लोकसभा चुनाव में भाजपा सिर्फ 16 सीटें ही जीत सकी है। सत्ता और संगठन ने प्रदेश में पिछले चुनाव में मिली 25 से अधिक सीटें हासिल करने की रणनीति बनाई थी। मगर यह रणनीति चुनाव नतीजों ने तार-तार कर दी। संगठन तथा सरकार इन नतीजों से हतप्रभ है। इसीलिए सरकार ने जनता को और बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने की पहल शुरू कर दी है। गुरुवार को मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जिम्मेदार अधिकारियों से टेलीकॉन्फ्रें सिंग के जरिए जन समस्याओं पर न केवल चर्चा की बल्कि उनके निदान के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश भी दिए हैं।
प्रदेश में बिजली और पानी का संकट लगातार गंभीर रूप अख्तियार करता जा रहा है। गुरुवार को मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी संभागायुक्तों व कलेक्टरों से कहा कि सुशासन राज्य शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। पेयजल समस्या से निपटने के लिए कारगर कदम उठाए जाएं। खराब हैन्डपम्पों को सुधारा जाए। जरूरत पड़ने पर पेयजल का परिवहन किया जाए। बिजली के अभाव में पेयजल योजना बंद नहीं होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि रोजगार गारंटी योजना के जरिए सभी जिलों में जरूरतमंदों को काम दिलाया जाए। ट्रान्सफार्मरों के खराब होने की शिकायतों का तुरंत निराकरण हो और विद्युत आपूर्ति के विषय में निरंतर सतर्क रहें। समर्थन मूल्य की खरीदी में किसी तरह की गड़बड़ी न हो। पहुंचविहीन क्षेत्रों में वर्षा से पूर्व सार्वजनिक वितरण प्रणाली सामग्री का भंडारण किया जाए। उन्होंने राजस्व से जुड़े मामलों को समय सीमा में निपटाने के अलावा संक्रामक बीमारियों के लिए आकस्मिकता योजना को प्रभावी बनाने पर जोर दिया।
मुख्यमंत्री ने इसके अलावा मंत्रिपरिषद के सदस्यों के साथ भी एक अनौपचारिक बैठक की जिसमें पार्टी को अपेक्षा के अनुरूप परिणाम न मिलने पर चिन्ता जताई। जिन मंत्रियों के क्षेत्र में पार्टी को हार मिली है उनसे साफ तौर पर कहा गया कि वे यह विचार करें कि ऐसा क्यों हुआ है। अब जरूरत है कि मंत्री अपने अपने क्षेत्रों में ध्यान दें और जनता की समस्याओं के निराकरण में कोई कसर न छोड़ें।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।