प्रचंड ने नए प्रधानमंत्री के लिए रास्ता छोड़ा
काठमांडू, 22 मई (आईएएनएस)। माओवादियों द्वारा तीन सप्ताह तक संसद की कार्यवाही बाधित करने के बाद शुक्रवार को सदन को संबोधित करते हुए कार्यवाहक प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल 'प्रचंड' ने ताजा संकट के लिए पड़ोसी देश भारत, राष्ट्रपति रामबरन यादव, अपने सहयोगियों और सेना प्रमुख को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले समय में इसके और बुरे परिणाम दिखेंगे।
प्रचंड के संबोधन के साथ ही 601 सदस्यीय सदन में शनिवार को नए प्रधानमंत्री के चुनाव का रास्ता साफ हो गया है।
अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो कम्युनस्टि पार्टी ऑफ नेपाल-यूनीफाइड मार्क्ससिस्ट लेनिनिस्ट (यूएमएल) के पूर्व अध्यक्ष माधव कुमार नेपाल प्रधानमंत्री का पद ग्रहण कर सकते हैं। उन्हें देश की 25 में से 23 पार्टियों का समर्थन प्राप्त है।
करीब एक घंटे के भाषण में प्रचंड ने पड़ोसी देश भारत पर बड़े भाई की तरह व्यवहार करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि नई दिल्ली का नेपाल के साथ संबंध का आधार आज भी सुगौली संधि है, जो नेपाल और तत्तकालीन ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच 1816 में हुई थी। यह उत्पीड़ित करने वाली संधि थी, जिसमें नेपाल को अपनी करीब एक तिहाई जमीन छोड़नी पड़ी थी।
प्रचंड ने कहा कि एक संघ के निर्वाचित प्रधानमंत्री होने के नाते उन्होंने अपने पड़ोसी के साथ संबंधों में बदलाव की कोशिश की और ओलंपिक के समापन समारोह में भाग लेने के लिए पहली बार चीन की यात्रा की।
उन्होंने संकेत दिया कि हालांकि भारत ने इन बदलावों को प्रोत्साहित नहीं किया और उसने उन्हें (प्रचंड) पद छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
प्रचंड ने अपने पूर्व के सहयोगियों को दोधारी तलवार करार देते हुए कहा कि वे सेना प्रमुख को हटाने के मुद्दे पर 180 डिग्री तक बदल गए और उनकी सर्वोच्चता का उपहास उड़ाया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।