भारत ने श्रीलंका में चिकित्सा दल भेजा (लीड-1)
भारतीय वायुसेना (आईएएफ) का विमान आईएल-76 शुक्रवार सुबह चिकित्सीय दल को लेकर कोलंबो रवाना हुआ। आईएएफ के प्रवक्ता विंग कमांडर तरुण कुमार सिंहा ने बताया कि विमान से तीन करोड़ रुपये मूल्य की लगभग 30 टन दवाइयां भी श्रीलंका भेजी गई हैं।
पूर्वोत्तर श्रीलंका के तटीय शहर पुलमोद्दई में भारत मार्च से ही 110 बिस्तरों वाला अस्पताल चला रहा है। वहां 62 सदस्यीय चिकित्सीय दल भी मौजूद है।अस्पताल में अभी तक 3,000 से अधिक मरीजों का इलाज किया जा चुका है। प्रवक्ता ने बताया कि भारत की आपातकालीन चिकित्सा इकाई को वावुनिया स्थित मेनिक फार्म स्थानांतरित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यहां विस्थापितों की संख्या अधिक है।
भारत सरकार ने श्रीलंका में मानवीय सहायता के लिए एक अरब रुपये के अनुदान को मंजूरी दी है वहीं तमिलनाडु सरकार अलग से 25 करोड़ रुपये की सहायता करेगी।
इस बीच कोलंबो से प्राप्त समाचार में मून के चीफ ऑफ स्टाफ विजय नाम्बियार ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव श्रीलंका को अतिरिक्त सहायता की पेशकश करेंगे। वे यहां कुछ शरणार्थी शिविरों और संघर्ष क्षेत्रों का दौरा कर सकते हैं। उन्होंने यह जानकारी ऐसे मौके पर दी है जबकि सरकार ने संघर्ष में हताहत हुए सुरक्षाकर्मियों का ब्यौरा जारी किया है।
समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार श्रीलंका के रक्षा मंत्री गोताबया राजपक्षे ने सरकारी टीवी चैनल आईटीएन को गुरुवार को बताया कि अगस्त 2006 से लेकर गत रविवार तक चले संघर्ष में 6261 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी, पुलिसकर्मी और अर्धसैनिक गार्ड्स मारे गए और करीब 30,000 से ज्यादा घायल हो गए। रक्षा मंत्री ने बताया कि 1981 से जारी संघर्ष में अब तक 23,790 सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं। उन्होंने लिट्टे और आम जनता को पहुंचे नुकसान का विवरण नहीं दिया।
इस बीच राहत एजेंसियों ने सरकार से शिविरों में प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटाने से कहा है क्योंकि शरणार्थी शिविरों में हालात बदतर होते जा रहे हैं। राहत एजेंसियों का कहना है कि शरणार्थी शिविरों में फिलहाल 270,000 लोग हैं और वहां 50,000 अन्य के पहुंचने की संभावना है।
इससे पहले श्रीलंका सरकार ने मंगलवार को भारतीय प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया था कि ज्यादातर विस्थापितों का पुनर्वास अगले छह महीनों में हो जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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