मायावती सरकार को फटकार, बर्खास्त सिपाहियों को बहाल करने का आदेश (लीड-2)
बर्खास्त सिपाहियों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विक्रमनाथ ने यह आदेश दिया। न्यायालय ने राज्य सरकार को चेतावनी दी कि अगर तय समय सीमा के अंदर सिपाहियों की बहाली नहीं की गई तो इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह को तलब कर कड़ी फटकार लगाते हुए उनसे पूछा कि न्यायालय के आदेश के बावजूद अब तक बर्खास्त सिपाहियों की बहाली क्यों नहीं की गई। न्यायालय ने पुलिस महानिदेशक से कहा कि 27 मई तक शपथपत्र देकर वह अदालत को सूचित करें कि बर्खास्त सिपाहियों को बहाल कर दिया गया है।
गौरतलब है कि मई 2007 में प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सरकार आते ही पूर्ववर्ती सरकार द्वारा भर्ती किए गए करीब 23,000 सिपाहियों को यह कहकर बर्खास्त कर दिया गया कि इनकी भर्ती में अनियिमतताएं बरती गईं। सरकार के इस फैसले को बर्खास्त सिपाहियों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
पिछले वर्ष आठ दिसंबर को मामले की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने बर्खास्त सिपाहियों की बहाली का आदेश दिया। राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय की ही डिवीजन बेंच के समक्ष इस आदेश को चुनौती दी थी, लेकिन डिवीजन बेंच ने बहाली के आदेश को सही ठहराया।
राज्य सरकार की तरफ से यह दलील दी गई कि सिपाहियों की भर्ती में अनियिमतताएं बरती गईं। इस पर अदालत ने निर्देश दिया कि अवैध रूप से भर्ती किए गए सिपाहियों को चिन्हित कर वैध सिपाहियों को जल्द बहाल किया जाए।
न्यायालय के इस फैसले के विरुद्ध राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय की शरण ली थी, जहां उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए सिपाहियों की बहाली के आदेश के बावजूद राज्य सरकार की तरफ से बर्खास्त सिपाहियों की बहाली नहीं की गई, जिसके बाद बर्खास्त सिपाहियों की तरफ से अवमानना अपील दायर की गई, जिस पर बुधवार को सुनवाई के बाद न्यायालय ने फिर से बहाली का आदेश पारित किया।
इंडो-एशयिन न्यूज सर्विस।
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