'दंगो के समय मुख्यमंत्री कार्यालय के संपर्क में थे विहिप नेता'
वर्ष 2002 में हुए इन दंगों की जांच कर रहे जी.टी. नानावती आयोग के समक्ष वकील मुकुल सिन्हा ने हलफनामा दायर कर इस बात की जानकारी दी है।
दंगा पीड़ितों के वकील सिन्हा ने कहा कि नरोदा गाम में हुए दंगों का आरोपी पटेल 28 फरवरी 2002 के दौरान मोदी के कार्यालय से लगातार संपर्क में था।
27 फरवरी 2002 में गोधरा ट्रेन के डिब्बों में लगी आग के बाद भड़की हिंसा में 1,180 लोगों की मौत हो गई थी।
एक सदस्यीय जी.टी. नानावती आयोग ने लोकसभा चुनाव के बाद बुधवार को गुजरात सरकार और पीड़ितों की ओर से दाखिल हलफनामे पर सुनवाई शुरू की। सुनवाई करीब एक घंटे चली। इस दौरान दोनों पक्षों के वकीलों ने मामले पर जिरह की।
इसके बाद सरकार के प्रतिनिधि ने अगली सुनवाई में राज्य के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी को आयोग के समक्ष पेश होने की अनुमति देने का अनुरोध किया, जिससे कि पीड़ितों की ओर से दाखिल हलफनामे पर सरकार का जवाब रखा जा सके।
आयोग ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 22 जून निर्धारित की है।
गुजरात सरकार ने गोधरा कांड के बाद हुए दंगों की जांच के लिए मार्च 2002 में इस आयोग की स्थापना की थी। आयोग ने गुजरात सरकार को पहली रिपोर्ट 18 सितंबर 2008 को सौंपी थी जिसमें कहा गया था कि साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में लगी आग 'सुनियोजित' साजिश का हिस्सा थी।
आयोग 2002 से अब तक एक हजार से अधिक गवाहों के बयान दर्ज कर चुका है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।