श्रीलंकाई शिविरों में सहायताकर्मियों को प्रवेश की इजाजत नहीं : संयुक्त राष्ट्र
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) की कार्यकारी निदेशक ऐन एम. वेनेमन ने एक बयान में कहा है, "पता चला है कि विस्थापितों के कुछ शिविरों में प्रवेश की इजाजत नहीं दी जा रही है। इन शिविरों तक पूर्ण और बेरोकटोक पहुंच की इजाजत दी जानी चाहिए ताकि जरूरतमंद महिलाओं और बच्चों को मदद पहुंचाई जा सके।"
वेनेमन ने कहा, "हालांकि सरकार लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे)पर फतह की घोषणा कर चुकी है, इसके बावजूद इन शिविरों में नागरिकों का पहुंचना बदस्तूर जारी है।"
उन्होंने कहा कि अप्रैल के आखिर से अब तक इन शिविरों में पहुंचे विस्थापितों की संख्या बढ़कर ढाई लाख से ज्यादा हो गई है।
बयान में कहा गया है कि यूनीसेफ अपने सहयोगियों के साथ मिलकर रोजाना लाखों लीटर पानी की आपूर्ति कर रहा है और स्नानघरों तथा शौचालयों का निर्माण करवा रहा है। इसके अलावा यूनीसेफ ने चिकित्सा सामग्री, बर्तन मुहैया कराए हैं और अस्थायी शिक्षा केंद्र भी खाले हैं ताकि बच्चे पढ़ाई शुरू कर सकें।
श्रीलंका के मानवीय संकट पर मानवाधिकार परिषद 25 मई को एक विशेष सत्र आयोजित करेगी। परिषद के अध्यक्ष मार्टिन थोएगियान की ओर से जारी बयान में कहा गया है, "इस विशेष सत्र से शांति बहाली में मदद मिलेगी।"
इससे पहले सोमवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के प्रमुख जॉन होम्स ने न्यूयार्क में कहा था कि शरणार्थी शिविरों की स्थिति आदर्श और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं है। खास तौर पर वावूनिया के शिविर में बहुत ज्यादा शरणार्थी हैं।
श्रीलंका के मानवीय हालात का जायजा लेने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून शुक्रवार को कोलंबो पहुंच रहे हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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