आडवाणी की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सके लाडले शिवराज

By Staff
Google Oneindia News

भोपाल, 16 मई (आईएएनएस)। हाल के वर्षो में गुजरात के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अभेद्य किले के रूप में तब्दील होते दिख रहे मध्य प्रदेश ने पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के अरमानों को लोकसभा चुनाव में खासा ठेस पहुंचाई है।

राज्य में पार्टी का प्रदर्शन आशा के विपरीत रहा है। या यूं कहें कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं उनमें से बड़े राज्यों में शुमार मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा को सबसे ज्यादा निराशा हाथ लगी। उत्तरांचल में तो पार्टी का सूपड़ा ही साफ हो गया।

मध्य प्रदेश में भाजपा को 29 में से सिर्फ 16 सीटें ही हासिल हो सकी हैं जो पिछले चुनाव से नौ कम है।

भाजपा ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए शासित राज्यों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और उत्तरांचल आदि के लिए विशेष रणनीति बनाई थी। इतना ही नहीं पार्टी ने सारी ताकत भी इन्हीं राज्यों में झोंक दी थी। उसे उम्मीद थी कि इन राज्यों में बड़ी सफलता हासिल करके वह केन्द्र की कुर्सी पर न केवल कब्जा जमा लेगी बल्कि आडवाणी को देश का प्रधानमंत्री बनाने का ख्वाब भी पूरा करने में कामयाब होगी।

भाजपा की रणनीति के मामले में छत्तीसगढ़ में रमन सिंह ने एक बार फिर कमाल दिखाते हुए 11 में से 10 सीटों पर कब्जा जमाया है। वहीं गुजरात में नरेन्द्र मोदी 26 में से 15 सीटें भाजपा की झोली में डालने में कामयाब हुए हैं। सबसे ज्यादा कमाल तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया है जो भाजपा-जनता दल (युनाइटेड) गठबंधन सरकार के मुखिया है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में भाजपा और गठबंधन ने कुल 40 में से 32 सीटें जीतने में सफलता पाई है।

हिमाचल में चार में से तीन सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार चुनाव जीते हैं। इन राज्यों की तुलना में सबसे बुरा हाल मध्य प्रदेश का हुआ है जहां भाजपा 29 में से सिर्फ 16 सीटें ही पाने में कामयाब हो सकी है। उत्तरांचल में भाजपा का प्र्दशन निश्चित तौर पर खराब रहा है लेकिन वह बहुत छोटा सा राज्य है और वहां लोकसभा की महज पांच सीटें ही हैं। वैसे ही उत्तरांचल में भाजपा की सरकार बने बहुत लंबा समय नहीं हुआ है। पार्टी यहां की पांचों सीटों पर हार गई है।

भाजपा ने मध्य प्रदेश में पिछले चुनाव की तरह कम से कम 25 सीटों पर जीत दर्ज करने की रणनीति बनाई थी। यह रणनीति कारगर हो इसी को ध्यान में रखकर वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज को प्रदेश का प्रभारी बनाने के साथ विदिशा से चुनाव भी लड़ाया गया। चुनाव नतीजों ने पार्टी की इस रणनीति को ही तार-तार कर दिया है।

यहां हम आपको बताते चलें कि मोदी के बाद आडवाणी के पसंदीदा मुख्यमंत्री है शिवराज सिंह चौहान। आडवाणी ने मौके बे मौके पर चौहान की सराहना करने में कभी भी कोर कसर नहीं छोड़ी है। यही कारण रहा है कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शुरु की गई लाडली लक्ष्मी योजना को भाजपा के घोषणा पत्र में जगह मिली है। चुनाव प्रचार के दौरान अहमदाबाद में तो आडवाणी ने यहां तक कह गए थे कि भाजपा में नरेन्द्र मोदी ही नहीं शिवराज सिंह भी हो सकते हैं भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X