71 के जंग के हीरो पूर्व नौसेना प्रमुख एस. एम. नंदा का निधन (लीड-2)
लंबे समय से बीमार चल रहे 94 वर्षीय नंदा ने दक्षिणी दिल्ली के वसंतकुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके परिवार में पत्नी, दो पुत्र और पोते-पोतियां हैं।
उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल सुरीश मेहता ने उन्हें भारतीय नौसेना का दिग्गज करार दिया। उन्होंने एक बयान में कहा, "देश ने एक नायक और दूरदर्शी व्यक्ति को खो दिया है, जिसने आधुनिक भारतीय नौसेना के विकास में अहम भूमिका निभाई। 1971 के युद्ध में नौसेना का साहसिक नेतृत्व करने के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।"
नौसेना के एक अधिकारी के अनुसार नंदा का अंतिम संस्कार मंगलवार शाम दिल्ली कैंट स्थित बरार स्क्वेयर में पूरे सैनिक सम्मान के साथ किया गया। अंतिम संस्कार में भारतीय सेना के कई अधिकारी शामिल हुए।
नंदा ने वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में नौसेना की कमान संभाली और उसे कामयाबी की मंजिल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में नौसेना ने कराची में पाकिस्तान के तेल टैंकर को नष्ट कर दिया जिससे उसकी सेना को ईंधन की आपूर्ति बाधित हो गई। भारतीय नौसेना ने बंगाल की खाड़ी और अरब सागर पर पूरी तरह कब्जा कर लिया था।
नंदा के निधन से एक युग का अंत हो गया है। सन 1971 के जंग में थल सेना का नेतृत्व करने वाले फिल्ड मार्शल मानेकशा का 94 वर्ष की अवस्था में पिछले साल निधन हो गया था। उस जंग के दौरान वायु सेना प्रमुख रहे एयर चीफ मार्शल पी.सी. लाल की 67 वर्ष की उम्र में 1984 में मृत्यु हो गई थी।
1915 में जन्मे नंदा 1941 में रॉयल इंडियन नेवी में शामिल हुए थे। सन 1947 के बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालीं। सन 1948 में वह ब्रिटेन में नौसेना के प्रथम पोत 'आईएनएस दिल्ली' से बतौर फर्स्ट लेफ्टिनेंट जुड़े। बाद में उन्होंने 'आईएनएस रणजीत' और जंगी स्क्वोडर्न की भी कमान संभाली।
उन्होंने 28 फरवरी 1970 में नौसेना के छठे नौसेना अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था। सन 1973 में 31 साल की सेवा के बाद वह सेवानिवृत्त हुए।
एडमिरल नंदा को वर्ष 1966 में परम विशिष्ट सेवा मेडल (पीवीएसएम) से नवाजा गया।
उनके निधन के बाद मेहता ने कहा, "नंदा अंतिम समय तक नौसेना के संपर्क में थे। वह नौसेना के लिए प्रेरणा के स्रोत थे। उनका निधन नौसेना और राष्ट्र के लिए बड़ी क्षति है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।