तृणमूल के कांग्रेस के साथ बने रहने पर बुद्धदेब को संदेह
भट्टाचार्य ने कोलकाता प्रेस क्लब में संवाददाताओं से कहा, "मैं आशा नहीं कर सकता कि चुनाव के बाद कांग्रेस के साथ तृणमूल खड़ी होगी। मैंने विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी से भी कहा कि क्या वह निश्चिंत हैं कि एक महीने बाद तृणमूल उनकी पार्टी छोड़कर किसी अन्य दल के गठबंधन में नहीं जाएगी।"
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी ने चुनावी रैलियों को संबोधित करने के लिए दो बार कोलकाता का दौरा किया परंतु उन्होंने तृणमूल कांग्रेस या ममता बनर्जी के खिलाफ एक भी शब्द नहीं कहा।
भट्टाचार्य ने कहा कि यह भी आश्चर्यजनक है कि तृणमूल ने भी अपने घोषणा पत्र में भाजपा का कोई जिक्र नहीं किया।
तृणमूल कांग्रेस पर राजनीतिक रूप से दिवालिया होने का आरोप लगाते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य के उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में चल रहे अलगाववादी आंदोलन के खिलाफ विपक्षी दल शांत हैं।
न तो तृणमूल कांग्रेस और न ही कांग्रेस ने पृथक गोरखालैंड राज्य की मांग का विरोध किया है। उन्होंने एक राजनीतिक दल की राज्य के तीन पश्चिमी जिलों को झारखंड राज्य में शामिल करने की मांग का भी विरोध नहीं किया।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता ने कहा कि इसका लाभ उठाते हुए भाजपा ने अपना उम्मीदवार दार्जिलिंग से यह कहते हुए उतार दिया कि यदि पार्टी सत्ता में आई तो वह पृथक राज्य की मांग को स्वीकार करेगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।