साहस और दृढ़संकल्प के सहारे आगे बढ़ रही हैं अकेली माएं
नई दिल्ली, 9 मई (आईएएनएस)। किसी भी महिला के लिए अकेली मां होना आसान काम नहीं है। उसे अपने बच्चों की मां होने के साथ-साथ पिता की जिम्मेदारी भी निभानी होती है और वे ऐसा करती भी हैं पूरी गरिमा और प्रतिबद्धता के साथ।
बैंक में काम करने वाली कल्पना धर (50) के पास वैचारिक टकराहटों और झगड़ों के बाद अपने पति से अलग होने के सिवा कोई चारा नहीं था।
धर ने बताया, "मैंने यह फैसला काफी देर से लिया। मुझे अपने बेटे की वजह से यह फैसला लेना पड़ा क्योंकि उसपर असर पड़ रहा था। पुरुषों के वर्चस्व वाले समाज में रहना बहुत कठिन है खासकर अकेली मांओं के लिए लेकिन अगर आप खुश नहीं हैं तो रोनेधोने और शिकायतों में समय गंवाने का कोई अर्थ नहीं है।"
रितु गुप्ता (50 बदला हुआ नाम) ने महज 30 वर्ष की उम्र में अपने पति को युद्ध में खो दिया था।
गुप्ता ने बताया, "उनकी मौत के बाद मुझे पता था कि मुझे बच्चों के मां-बाप दोनों की भूमिका निभानी होगी। इसीलिए मैंने नौकरी पकड़ी और पिता की तरह व्यवहार शुरू किया हालांकि मैं मां की तरह खाना भी पकाती थी। एक पिता की ही तरह मैंने उन्हें तैरना और गाड़ी चलाना सिखाया।"
रितु ने बताया कि आज उनके रिश्ते अपने बच्चों से बिलकुल दोस्ताना हैं और वे आपस में हर बात साझा करते हैं।
संगीत की शिक्षा देने वाली सुरभि मवार(30) ने महज 24 वर्ष की उम्र में अपने पति को खो दिया था। उन्होंने महज इसलिए दूसरी शादी करने से इंकार कर दिया क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं उनके बच्चे के साथ सौतेला व्यवहार न हो।
सुरभि ने कहा, "आज मेरा जीवन पूरी तरह मेरे बेटे को समर्पित है। मैं दूसरी शादी इसलिए नहीं करना चाहती क्योंकि उसमें तमाम तरह की जटिलताएं हैं। हम अपनी दुनिया में खुश हैं।"
मिस इंडिया वर्ल्ड पूजा चोपड़ा की मां नीरा ने आईएएनएस को फोन पर बताया कि दो बेटियों को जन्म देने के बाद उन्हें अपने पति से अलग होना पड़ा क्योंकि वह उन्हें एक बेटा नहीं दे पा रही थीं।
नीरा ने अकेली मां के रूप में अपनी बेटियों को हर संभव संसाधन उपलब्ध कराए। उनका कहना है कि आज वे उन्हीं की वजह से जिंदा हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
**