भारत से वार्ता चाहते हैं जरदारी (लीड-2)
एक सांसद ने पाकिस्तान की तुलना उस व्यक्ति से की जिसकी पतलून में आग लगी हो और वह आसन्न खतरे को महसूस न कर रहा हो।
अमेरिका ने कहा कि वह भारत से ध्यान हटाकर तालिबान और अल कायदा के खिलाफ लड़ाई में अधिक संसाधन लगाने के लिए पाकिस्तान पर दबाव डालता रहेगा। साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए भी वह कदम उठाएगा कि इस्लामाबाद आर्थिक सहायता से भारत के खिलाफ हथियार न खरीद सके।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई के साथ वार्ता के लिए वाशिंगटन पहुंचे पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने कहा कि भारत में चुनाव समाप्त होने के बाद वह इस महीने के अंत में शांति वार्ता का प्रस्ताव रखेंगे।
समाचार चैनल सीएनएन को दिए एक साक्षात्कार में जरदारी ने कहा कि वह भारत में चुनाव के समाप्त होने का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद वह भारत सरकार के साथ नई वार्ता आरंभ कर सकते हैं।
पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के तालिबान के कब्जे में जाने के खतरे के बारे में जरदारी ने दावा किया कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार सुरक्षित हाथों में हैं।
अमेरिका के कई सांसदों ने पाकिस्तान पर नियंत्रण की राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की योग्यता पर सवाल खड़े किए और उनमें से एक ने तो पाकिस्तान की तुलना उस व्यक्ति से की जिसकी पतलून में आग लगी है परंतु वह आसन्न खतरे को महसूस नहीं कर रहा है।
डेमोकेट्रिक पार्टी के सांसद गैरी एकरमैन ने मंगलवार को हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स की एक समिति के सामने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष दूत रिचर्ड हॉलब्रुक से कहा कि जब किसी की पतलून में आग लगी हो तो उसे बचने के लिए दो काम करने होते हैं।
उन्होंने कहा कि सबसे पहले आपको यह वास्तविकता स्वीकार करनी होगी कि आपकी पतलून में आग लगी है। इसके बाद आपको इस बारे में कुछ करना होगा।
एकरमैन ने कहा,"पाकिस्तान में आग लगी है लेकिन उसे लगता है कि यदि उसे अकेला छोड़ दिया जाए या फिर थोड़े बहुत हमले होते रहने से आतंकवाद की आग खुद ही बुझ जाएगी। यह सबसे बड़ी मूर्खता है।"
एकरमैन ने संदेह जताया कि आतंकवादी राजधानी इस्लामाबाद से केवल एक घंटे की दूरी पर हैं जबकि पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का विश्वास है कि भारत उनका सबसे बड़ा शत्रु है।
हॉलब्रुक ने कहा कि अमेरिका पाकिस्तान पर भारत से ध्यान हटाकर तालिबान के खिलाफ लड़ाई में संसाधन लगाने के लिए दबाव डालना जारी रखेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि अमेरिकी सहायता का इस्तेमाल भारत के खिलाफ हथियार खरीदने में न हो।
हॉलब्रुक ने कहा कि वह लंबे समय से महसूस कर रहे हैं कि पाकिस्तान अपनी पश्चिमी सीमा पर हो रहे संघर्ष में और अधिक संसाधन लगा सकता है।
उन्होंने कहा कि एक उदार लोकतांत्रिक देश के रूप में पाकिस्तान का कायम रहना अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और "पाकिस्तान के समर्थन और उसे शामिल किए बिना हम अफगानिस्तान में सफल नहीं हो सकते।"
उन्होंने सांसदों को आश्वस्त करना चाहा कि पाकिस्तान सरकार गिरने के कगार पर नहीं है लेकिन उसे अधिक अमेरिकी समर्थन की जरूरत है।
उन्होंने कहा,"इस सरकार के समर्थन में हमारे बड़े रणनीतिक हित हैं। हमें पाकिस्तान सरकार के खत्म होने के बारे में भविष्यवाणी करके भ्रम नहीं फैलाना चाहिए। हमें नहीं लगता कि पाकिस्तान एक विफल राष्ट्र है। हमारा मानना है कि यह देश भारी दबाव में है। उसके दुश्मन हमारे भी दुश्मन हैं।"
हॉलब्रुक ने कहा कि पाकिस्तान के अस्तित्व को वास्तव में खतरा है लेकिन यह देश के अंदर से है, बाहर से नहीं।
ओबामा प्रशासन के जरदारी से समर्थन वापसी संबंधी मीडिया खबरों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि निर्वाचित राष्ट्रपति जरदारी के नेतृत्व में पाकिस्तान को एक लोकतांत्रिक देश के रूप में स्थापित करना अमेरिका का उद्देश्य होना चाहिए।
हॉलब्रुक ने कहा कि उन्होंने मीडिया में छपी इन खबरों को पढ़ा कि प्रशासन ने जरदारी से दूरी बनाकर विपक्षी नेता नवाज शरीफ को समर्थन दिया है। यह पूरी तरह असत्य है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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