राहुल ने वाम दलों व नीतीश पर डाले डोर, दोनों ने किया निराश (राउंडअप-इंट्रो)
राहुल ने मंगलवार को स्थानीय अशोक होटल में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान पत्रकारों से खुलकर चर्चा की। विश्वास से लबरेज राहुल ने भरोसा जताया कि उनकी पार्टी को इस बार वर्ष 2004 के चुनावों से भी ज्यादा कामयाबी मिलेगी और वामपंथी दल मनमोहन सिंह को दोबारा प्रधानमंत्री बनाने में अपना समर्थन देंगे। राहुल ने डा. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद के लिए देश के सर्वोत्तम उम्मीदवार बताया।
इस बीच राहुल के बयान पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष रामविलास पासवान बिफर गए हैं। इस बारे में लालू ने पत्रकारों से कहा, "नीतीश ने कोई अच्छा काम नहीं किया है।" उन्होंने कहा कि न तो कांग्रेस उनकी पार्टी है और न ही वह कांग्रेस पार्टी में है। पासवान ने भी खींझ व्यक्त करते हुए कहा, "नीतीश ने यदि अच्छा काम किया है तो कांग्रेस ने उनकी पार्टी के खिलाफ उम्मीदवार क्यों उतारा है?"
राहुल ने कहा, "हम विपक्ष में नहीं बैठेंगे बल्कि चुनाव जीतेंगे और सरकार बनाएंगे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विपक्ष में बैठेगी।"
उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का अब कोई अस्तित्व नहीं बचा है। उसके घटक दलों को भी इसका एहसास है। सिर्फ भाजपा को राजग का अस्तित्व दिखता है।"
सरकार बनाने के लिए वामपंथी दलों का समर्थन करने के बारे में राहुल ने कहा, "वामपंथी दल यदि 180 से 190 सीटें जीतने में सफल होते हैं तो इस परिस्थिति में कांग्रेस उन्हें समर्थन देगी। उस समय मैं सबसे पहले कहूंगा कि कांग्रेस वाम दलों को समर्थन देगी।"
राहुल ने कहा, "कुछ बिन्दुओं पर वाम दलों और कांग्रेस में मतभेद हैं लेकिन मैं खुद उनसे बात करूंगा। मैं यह भी कहने में नहीं हिचकिचाऊंगा कि वामपंथी दलों के विचार बड़े पुराने हैं। परमाणु करार जैसे मुद्दे पर तो उनकी सोच 20 से 30 साल पुरानी है।"
उन्होंने कहा, "उन्हें यह स्वीकार करना ही होगा कि विश्व परिदृश्य में तेजी से आ रहे बदलाव के मद्देनजर उन्हें भी बदलाव के लिए बाध्य होना पड़ेगा।"
हालांकि वामपंथी दलों ने राहुल के बयान के कुछ ही घंटे बाद इस संभावना से इंकार कर दिया कि वे कांग्रेस नेतृत्व वाली किसी सरकार का समर्थन देंगे।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव ए.बी.बर्धन और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी व वृंदा करात ने कहा कि लोकसभा चुनाव बाद वे कांग्रेस को समर्थन नहीं देंगे।
बर्धन ने यहां संवाददाताओं को बताया, "मैं नहीं समझता कि वामपंथी इस बार कांग्रेस को समर्थन देंगे। कांग्रेस चुनाव परिणाम को लेकर डरी हुई है।"
वहीं पर सीताराम येचुरी ने कहा, "हमारी कोशिश एक गैर कांग्रेसी व गैर भाजपाई (भारतीय जनता पार्टी) सरकार के गठन की है।"
दूसरी तरफ माकपा की पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात ने भी कहा है कि वामपंथी केंद्र में कांग्रेस और भाजपा के बदले एक वैकल्पिक धर्मनिरपेक्ष सरकार के गठन के प्रति दृढ़ संकल्प हैं। राहुल का बयान लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय का संकेत करता है।
इससे पहले, राहुल ने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की जमकर तारीफ करते हुए कहा, "चुनाव के बाद गठबंधन के लिए हमने सारे दरवाजे खोल रखे हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि वाम दल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का समर्थन करेंगे।"
राहुल ने कहा, "ऐसा नहीं है कि विपक्षी दलों में अच्छे नेता नहीं हैं। नायडू जब मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने विकास के कई काम किए। मैं उनका सम्मान करता हूं। बिहार में नीतीश कुमार ने भी अच्छा काम किया है। वह धर्मनिरपेक्ष भी हैं।"
उधर, नीतीश ने राहुल के बिहार सरकार के कामकाज की तारीफ करने पर उन्हें बधाई दी है, परंतु साथ ही उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के साथ जाने या उसके साथ किसी भी प्रकार के राजनीतिक संपर्क से इंकार किया है।
भाजपा ने कहा कि कांग्रेस द्वारा राजग के घटक दलों पर डोरे डालना, जो कि उसके झांसे में नहीं आने वाले हैं, संकेत देता है कि लोकसभा चुनाव में उसकी हार सुनिश्चित है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धर्मनिरपेक्ष बताना और उनकी तारीफ करके उन्हें लुभाने की कोशिश करना स्पष्ट संकेत देता है कि चुनाव में वह हार रही है। हार सुनिश्चित देख उसने राजग के घटक दलों को अब पुचकारना आरंभ कर दिया है। राजग के घटक दल कांग्रेस के इस झांसे में आने वाले नहीं हैं।
राहुल ने यह भी माना कि राजनीति में परिवारवाद की परम्परा अलोकतांत्रिक है और वह इसे खत्म करने की कोशिश करेंगे। एक विदेशी पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में राहुल ने यह बात कही। दरअसल, उस पत्रकार ने राहुल से यह जानना चाहा था कि पारिवारिक पृष्ठभूमि के चलते उन्हें जो महत्वपूर्ण पद हासिल हुआ है, क्या यह अलोकतांत्रिक नहीं है?
राहुल ने कहा, "यह अलोकतांत्रिक है और यह एक सच्चाई भी है। मेरे पिता, मेरी दादी और मेरे परनाना भी देश के प्रभावशाली पदों पर रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "इसका मुझे कुछ लाभ भी मिलता है। जैसा कि मैंने पंजाब में युवा कांग्रेस के चुनाव में किया।" उल्लेखनीय है कि राहुल ने लोकतांत्रिक तरीके से पंजाब पहली बार युवा कांग्रेस का चुनाव संपन्न कराने में अहम भूमिका निभाई थी।
राहुल ने कहा, "मैं परिवारवाद की राजनीति की पैदाइश हूं इसका मतलब यह नहीं है कि मैं इस व्यवस्था में परिवर्तन नहीं ला सकता। यह एक सम्मान है। इस व्यवस्था को बदलना मेरा कर्तव्य है और मैं इसके लिए प्रयास भी करूंगा।"
भाजपा द्वारा चुनाव के समय उछाले गए विदेशी बैंकों में जमा काले धन के मुद्दे पर राहुल गांधी ने सहमति जताई और कहा कि उनका मानना है कि विदेशी बैंकों में जमा धन को वापस लाने के लिए सभी पार्टियों को मिल कर काम करना चाहिए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।