सर्वोच्च न्यायालय में मोदी के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला दर्ज (लीड-1)
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा दायर कानूनी याचिका पर अदालत अगले हफ्ते सुनवाई करेगा।
उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मोदी, उनके मंत्रिमंडल के 11 सहयोगियों व नौकरशाहों की दंगे में भूमिका की जांच के लिए सोमवार को दिए गए आदेश के पीछे प्रशांत भूषण ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
याचिका में कहा गया है कि अदालत द्वारा हिंसा के मामले में उनकी भूमिका की जांच का आदेश दिए जाने के एक दिन बाद ही मोदी ने एक बहुत ही सुनियोजित और सधा हुआ सार्वजनिक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उनके खिलाफ दिया गया जांच का आदेश, कांग्रेस और केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के साथ मिल कर रचा गया एक षड़यंत्र है।
याचिका में एक रैली के दौरान मोदी द्वारा दिए गए बयान का उल्लेख किया गया है। मोदी ने कहा था, "मैं आप सभी से एक बहुत ही गंभीर मुद्दे पर बात करना चाहता हूं। सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार फिर मोदी को छेड़ा है। सरकार में मंत्री व वकील कपिल सिब्बल ने 15 दिनों पहले कहा था कि नरेंद्र मोदी को जेल जाने की अपनी तैयारी करनी चाहिए।"
याचिका में मोदी के हवाले से आगे कहा गया है, "और ठीक 15 दिनों बाद सर्वोच्च न्यायालय का यह फंदा हमारे गले के चारों ओर कस दिया गया है। इसका क्या मतलब है? मोदी को जेल भेजने की साजिश रची गई है।"
याचिका में कहा गया है कि न सिर्फ मोदी ने यह बयान दिया है, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से उनकी उन्हीं टिप्पणियों को दोहराते हुए गुजराती दैनिकों में पूरे पृष्ठ का विज्ञापन भी प्रकाशित कराया गया है।
प्रशांत भूषण ने याचिका में कहा है, "ऐसी स्थितियों में न्याय का तकाजा यह है कि मोदी को उनकी इस घृणित कार्रवाई के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए और उन पर मुकदमा चलाया जाए।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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