पन्ना राष्ट्रीय उद्यान देश का दूसरा सरिस्का : सेन
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान का जायजा लेने आए सेन ने शुक्रवार को संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि वन विभाग 30 से 35 बाघ होने की बात कहता रहा है। लेकिन जांच दल को यहां एक भी बाघ नजर नहीं आया। जांच दल को यह भी पता चला है कि जनवरी 2009 के बाद से किसी को भी बाघ दिखाई नहीं दिया है। जांच दल इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि पन्ना राष्ट्रीय उद्यान देश का दूसरा सरिस्का बन गया है, जहां एक भी बाघ नहीं है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के पूर्व निदेशक और जांच दल के मुखिया सेन ने वन विभाग द्वारा पेश किए जाने वाले आंकडों पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में कहा गया था कि पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में 35 बाघ हैं और 2009 में एक भी बाघ नजर नहीं आ रहा है। यह आश्चर्यजनक है।
प्रदेश के वन विभाग द्वारा पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में बाघ असंतुलन की बात कहीं जाती रही है। इसीलिए कान्हा राष्ट्रीय उद्यान और बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान से बाघिनें लाई गईं। सेन ने कहा कि जब बाघ ही नहीं हैं तो बाघिनें क्यों लाई गईं, यह समझ से परे है। सेन मई में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगे।
जांच दल के अन्य सदस्यों वन्य जीव संरक्षण देहरादून के वैज्ञानिक कमाल कुरैशी और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के संयुक्त निदेशक एस़ पी़ यादव ने कहा है कि बाघिनों को लाने के बाद ही पता चला कि बाघ नहीं हैं। अब बाघों को बरसात के मौसम के बाद ही पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में लाया जा सकेगा। जांच दल ने पूर्व में पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में तैनात रहे अधिकारियों को भी तलब किया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।