श्रीलंका में युद्ध रुकवा पाने में विफल रहे ब्रिटेन और फ्रांस (राउंडअप)
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड मिलीबैंड और फ्रांस के विदेश मंत्री बर्नार्ड कचनर ने श्रीलंकाई विदेश मंत्री रोहिता बोगलागामा से मुलाकात कर तमिल नागरिकों के मारे जाने व विस्थापित होने के संबंध में चिंता जाहिर की।
फ्रांस के विदेश मंत्री बर्नार्ड कचनर ने बोगलगामा के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, "हमने बहुत कोशिश की। लेकिन अब यह हमारे मित्रों पर है कि वे उस पर अमल करते हैं या नहीं।"
बातचीत की विफलता की ओर संकेत करते हुए ब्रिटिश विदेश मंत्री मिलिबैंड ने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय समुदाय विद्रोही नेता वेलुपिल्लई प्रभाकरन को बचाने के लिए युद्ध विराम की मांग नहीं कर रहा है, बल्कि बेगुनाह नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए और श्रीलंका में दीर्घकालिक शांति के लिए युद्ध विराम की मांग कर रहा है।"
मिलिबैंड ने कहा, "अब युद्ध रोक देने का समय है। श्रीलंकाई सेना शानदार जीत दर्ज करा चुकी है। लेकिन शांति स्थापना युद्ध जीतने जितना ही महत्वपूर्ण है।"
बुधवार को एक दिन के कोलंबो दौरे पर पहुंचे दोनों मंत्रियों ने तमिल विद्रोहियों से भी मांग की कि वे हजारों नागरिकों को मुक्त कर दें। लगभग 20,000 से 50,000 नागरिक अभी भी विद्रोहियों के कब्जे में हैं।
मिलीबैंड और कचनर ने वावूनिया के शरणार्थी शिविरों का दौरा करने के बाद राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे से भी मुलाकात की लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा।
दोनों विदेश मंत्रियों ने यह यात्रा ऐसे मौके पर की है, जब यूरोपीय संघ ने सोमवार को श्रीलंका से तत्काल संघर्ष विराम की अपील की थी।
स्वीडन के विदेश मंत्री कार्ल ब्लिड्ट भी यूरोपीय विदेश मंत्रियों के साथ यहां आने वाले थे लेकिन उनका कहना है कि श्रीलंका सरकार ने उन्हें वीजा नहीं दिया। जबकि बोगलागामा ने इस दावे का खंडन किया है और कहा है कि ब्लिड्ट ने वीजा के लिए आवेदन ही नहीं किया था।
दूसरी ओर विदेश मंत्रियों के श्रीलंका दौरे के विरोध में बौद्ध भिक्षुओं ने कोलंबो में ब्रिटिश दूतावास के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति की समर्थक जातिका हेला उरूमया पार्टी से संबद्ध थे। श्रीलंका में बौद्ध सिंहलियों की आबादी करीब 73 फीसदी है, जबकि तमिल हिंदुओं की तादाद महज 18 प्रतिशत है।
इधर, युद्ध रुकवाने की अंतर्राष्ट्रीय कोशिशों के बीच श्रीलंकाई नौसेना ने दावा किया है कि बुधवार तड़के उसने कम से कम 25 तमिल विद्रोहियों को मार गिराया गया और उनकी छह नौकाओं को नष्ट कर दिया गया है। इस बारे विद्रोहियों की ओर से अभी तक कोई बयान नहीं आया है।
लिट्टे विद्रोहियों का कब्जा अब मात्र 10 किलोमीटर से भी कम इलाके में सिमट गया है।
सेना का कहना है कि वह विद्रोहियों को कुचलने के अभियान के आखिरी दौर में पहुंच चुकी है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।