भारत विकास पर प्रतिबंध के बगैर जलवायु नियमों के पक्ष में
वाशिंगटन, 29 अप्रैल (आईएएनएस)। भारत ने जोर दिया है कि वह जलवायु परिवर्तन को रोकने के उपायों के तहत विकास पर कोई प्रतिबंध स्वीकार नहीं करेगा। इसके साथ ही उसने स्थाई विकास के लिए जैव ईंधन से अक्षय ऊर्जा की तकनीकों को अपनाने के लिए सहयोगी रुख का प्रस्ताव किया है।
जलवायु परविर्तन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के विशेष दूत श्याम सरन ने मंगलवार को कहा, "हम विकास पर कोई प्रतिबंध स्वीकार नहीं कर सकते।" इसके साथ ही उन्होंने तकनीक को तेजी से स्वीकार करने को कहा जिससे विकास पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा जलवायु परिवर्तन मुद्दे पर स्थापित 'इकोनॉमिक फोरम ऑन एनर्जी' के साथ दो दिवसीय बैठक में भारतीय दल का नेतृत्व करने वाले सरन ने कहा कि इस मुद्दे पर भारत और अमेरिका का रुख समान है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि ओबामा ने फोरम के समक्ष अमेरिकी ऊर्जा आत्मनिर्भरता और जलवायु परिवर्तन को आपस में जुड़ा विषय बताया। यह हमारे रुख के अनुकूल है।
ऊर्जा सुरक्षा को अति महत्वपूर्ण बताते हुए सरन ने कहा,"हम नहीं चाहते कि ऊर्जा एक बाधा बने। इसलिए इस संदर्भ में अमेरिका और भारत का रुख समान है।"
सरन ने कहा कि जुलाई में इटली में होने वाले शिखर सम्मेलन की तैयारी के लिए आयोजित बैठक में विभिन्न देशों ने उन समस्याओं का बहुत स्पष्ट तरीके से उल्लेख किया जिनका सामना हम कर रहे हैं। इससे बड़े देशों के बीच आपसी विश्वास कायम करने में मदद मिलेगी।
इटली सम्मेलन का उद्देश्य क्योटो प्रोटोकाल (1997) की अगली कड़ी में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर दिसम्बर में कोपेनहेगन वैश्विक वार्ता का मार्ग प्रशस्त करना है।
मंगलवार को समाप्त हुई बैठक को बराक ओबामा और विदेशमंत्री हिलेरी क्लिंटन ने भी संबोधित किया।
भारत ने अपने प्रस्तुतिकरण में ऊर्जा के बेहतर उपयोग खासकर इमारतों में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। सरन ने कहा कि भारत ने ऊर्जा खपत में केवल 3-3.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ विकास दर में 8-9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।