श्रीलंकाः लिट्टे की अपील खारिज
श्रीलंका में राष्ट्रीय सुरक्षा के मीडिया सेंटर के महानिदेशक लक्ष्मण हुलुगले ने कहा, "सरकार का रुख यह है कि जब तक लिट्टे हथियार डाल कर समर्पण नहीं कर देता तब तक कोई युद्ध विराम घोषित नहीं किया जाएगा। सरकार के इस रुख में फिलहाल कोई बदलाव नहीं आया है।"
माना
जा
रहा
है
कि
अपने
अंतिम
गढ़
पर
भारी
सैन्य
दबाव
महसूस
करने
के
बाद
ही
तमिल
विद्रोहियों
ने
एकतरफा
युद्धविराम
घोषित
किया
है।
लिट्टे
ने
एक
बयान
में
कहा,
"एक
अभूतपूर्व
मानवीय
संकट
को
देखते
हुए
और
संयुक्त
राष्ट्र,
यूरोपीय
संघ
तथा
अमेरिका,
भारत
और
अन्य
देशों
की
सरकारों
के
आग्रह
के
मद्देनजर
लिट्टे
ने
एकतरफा
संघर्ष
विराम
की
घोषणा
की
है।"
लिट्टे
सभी
अभियान
बंद
करेगा
बयान में कहा गया है कि लिट्टे के सभी आक्रामक अभियान तत्काल प्रभाव से बंद किए जाएंगे। बयान के अनुसार लिट्टे इस बात से पूरी तरह सहमत है कि तत्काल युद्ध विराम ही मानवीय संकट से उबरने का एक मात्र उपाय है। उसने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से श्रीलंका सरकार पर इसे स्वीकार करने के लिए दबाव डालने को कहा है।
बयान
में
कहा
गया
है,
"हम
इस
बात
से
पूरी
तरह
सहमत
हैं
कि
मानवीय
संकट
का
समाधान
मात्र
तत्काल
युद्ध
विराम
से
ही
संभव
हो
सकता
है।"
लेकिन
श्रीलंका
सरकार
ने
युद्ध
विराम
को
अस्वीकार
करते
हुए
कहा
है
कि
लिट्टे
को
हथियार
डाल
कर
आत्मसमर्पण
करना
होगा।
एकतरफा
युद्ध
विराम
लिट्टे द्वारा एकतरफा युद्ध विराम की घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब संयुक्त राष्ट्र के मानववादी मामलों के प्रमुख जॉन होलमेज श्रीलंका दौरे पर हैं। होलमेज ने देश में जारी नागरिकों की हत्या पर रविवार को गहरी चिंता व्यक्त की और श्रीलंका में तत्काल युद्ध रोकने की मांग की। उन्होंने लिट्टे से भी अपील की कि वह बंधक बनाए नागरिकों को मुक्त कर दे और अपने हथियार डाल दे।
लेकिन लिट्टे के बयान में संयुक्त राष्ट्र के इस अधिकारी के आह्वान का कोई जिक्र नहीं किया गया है। उधर सरकारी समाचार पत्र संडे आब्जर्वर ने रक्षा सचिव गोटाभाया राजपक्षे के हवाले से लिखा है कि लिट्टे प्रमुख प्रभाकरन के पकड़े जाने और सेना द्वारा पूरे क्षेत्र पर कब्जा किए जाने तक सैन्य कार्रवाई जारी रहेगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।