भारत को श्रीलंका में सकारात्मक परिणाम की उम्मीद (लीड-2)
तमिल नागरिकों की स्थिति को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्याप्त चिंता के बीच नारायणन और मेनन एक विशेष विमान से शु़क्रवार को कोलंबो पहुंचे और राष्ट्रपति के सरकारी आवास टेंपल ट्रीज में लगभग 90 मिनट तक राजपक्षे के साथ मानवीय संकट पर चर्चा करने के बाद स्वदेश लौट आए।
कोलंबो के दिन भर के दौरे से दिल्ली लौटने के बाद नारायणन ने पत्रकारों से कहा, "हमने उत्तरी श्रीलंका में उत्पन्न परिस्थिति, खासतौर से जारी सैन्य कार्रवाई के कारण तमिल नागरिकों के मारे जाने को लेकर भारत सरकार की चिंताओं से राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को अवगत कराया।"
उन्होंने कहा, "हमने इस सप्ताह के शुरू में हजारों तमिल नागरिकों के युद्ध क्षेत्र से बाहर आने के परिणामस्वरूप उत्पन्न मानवीय संकट को लेकर भारत सरकार की चिंताओं के बारे में भी अवगत कराया।"
नारायणन ने कहा, "श्रीलंका के राष्ट्रपति ने हमारी चिंताओं से सहमति जताई। लिहाजा हमें एक सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है।"
ऐसे समय में जब श्रीलंका में तमिल नागरिकों का संकट तमिलनाडु में चुनावी मुद्दा बन रहा हो और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के एक प्रमुख घटक दल डीएमके ने तमिलनाडु में राज्यव्यापी बंद का आह्वान तक कर दिया तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी मेनन और नारायणन को विशेष दूत के रूप में भारत की चिंताओं से अवगत कराने के लिए श्रीलंका रवाना कर अपने कूटनीतिक कर्तव्य का निर्वाह किया।
दूसरी ओर श्रीलंका सरकार ने दावा किया है कि अब तक 106,000 तमिल नागरिक लिट्टे के नियंत्रण वाले इलाके से भाग कर सेना के नियंत्रण वाले इलाकों में शरण ले चुके हैं।
श्रीलंका में तमिल विद्रोही संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) और सेना के बीच जारी संघर्ष में फंसे तमिल नागरिकों को लेकर चिंतित विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी बुधवार को कहा था, "हम श्रीलंका में हो रही मौतों से नाखुश हैं। निर्दोष नागरिकों की हत्या बंद होनी चाहिए साथ ही सभी तरह की सैन्य कार्रवाई बंद होनी चाहिए।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
*