मनमोहन, सोनिया और राहुल ने विपक्षियों पर हमला बोला (राउंडअप)
गुजरात में अपनी पहली चुनावी सभा को संबोधित करते हुए सोनिया ने राजकोट जिले के जेतपुर में कहा कि कांग्रेसनीत केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा चलाई जा रही केंद्रीय योजनाओं को नरेन्द्र मोदी अपनी उपलब्धियों के रूप में गिना कर वाहवाही लूट रहे हैं।
उन्होंने कहा, "गुजरात की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार संप्रग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को अपना बताकर वाहवाही लूट रही है। सुजलाम् सुफलाम्, लाडली और धनलक्ष्मी जैसी योजनाएं केंद्र सरकार की है। राज्य सरकार इसे अपना बता रही है और इसका श्रेय ले रही है।"
सोनिया ने कहा कि मोदी भारी भरकम निवेश का दावा करते हैं जबकि सच्चाई यह है कि राज्य की कई औद्योगिक ईकाइयां बंद होने की कगार पर हैं। गुजरात सरकार ने यहां हीरा उद्योग से जुड़े कारीगरों के लिए कुछ नहीं किया। आज ये लोग बेकार हैं।
उधर, उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री ने कानपुर के कांग्रेस प्रत्याशी और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के समर्थन में स्थानीय मोतीझ्लाल मैदान में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए संप्रग की उपलब्धियां गिनाई और साथ ही राज्य की सत्ताधारी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) पर भी जमकर निशाना साधा।
उन्होंने संप्रग सरकार द्वारा चलाई जा रही भारत निर्माण, किसानों की कर्ज माफी और राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं को अपनी उपलब्धियों के रूप में पेश किया।
मुख्यमंत्री मायावती पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब है। इस प्रदेश ने देश को चार-चार प्रधानमंत्री दिए लेकिन आज यहां के हालात अच्छे नहीं हैं। इसलिए राज्य का विकास नहीं हो पा रहा हे।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने विभिन्न मदों में राज्य के विकास के लिए प्रदेश सरकार को धनराशि भेजी लेकिन वह इसका सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाई।
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने पश्चिम बंगाल सरकार पर शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की अवहेलना और केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न मदों में दी गई राशियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए वामदलों को लपेटे में लिया।
पश्चिम बंगाल के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार किए जाने वाले पुरुलिया में एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा, "कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली से आपके लिए पैसे भेजे थे लेकिन राज्य सरकार ने उनका इस्तेमाल नहीं किया। राज्य सरकार करोड़ो रुपयों का उपयोग नहीं कर सकी है। यहां तक कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) के तहत मिलने वाली राशि का 40 फीसदी भी उपयोग नहीं किया गया।"
परमाणु करार के मुद्दे पर केंद्र की संप्रग सरकार से समर्थन लेने के लिए वामदलों की आलोचना करते हुए राहुल ने कहा, "हमने वाम मित्रों से कहा था कि देश के भविष्य के लिए यह करार जरूरी है, लेकिन उन्होंने इसे नकार दिया।"
उन्होंने कहा, "वाम दल बीते दिनों की बात करते हैं। वे भविष्य की बात नहीं करते हैं। उन्हें भविष्य की जरूरतों की कोई चिंता नहीं है।"
इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में विदेश मंत्री रहे जसवंत सिंह ने गुरुवार को यह खुलासा करके कंधार के जिन्न को एक बार फिर बाहर कर दिया कि इस अपहरण कांड के दौरान आतंकवादियों को छोड़े जाने के फैसले का भाजपा के वरिष्ठ नेता व तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने विरोध किया था।
जसवंत ने एक टेलीविजन चैनल से बातचीत में कहा था, "मैं पहली बार इस बात का खुलासा कर रहा हूं कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दो मंत्रियों आडवाणी और अरुण शौरी ने किसी भी कीमत पर आतंकवादियों को छोड़े जाने का विरोध किया था।"
बहरहाल, कांग्रेस ने जसवंत के इस खुलासे के समय पर संदेह व्यक्त करते हुए कहा है कि आडवाणी को इस मामले में पाक साफ साबित करने का प्रयास किया जा रहा है क्योंकि वह भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं।
इन सबके बीच आडवाणी ने आज संकेत दिए कि मौजूदा लोकसभा का चुनाव उनकी आखिरी राजनीतिक पारी है और चुनाव बाद वह यदि प्रधानमंत्री नहीं बने तो सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लेंगे।
आडवाणी ने आउटलुक को दिए एक साक्षात्कार में यह संकेत दिया। यह पूछे जाने पर कि यदि वह प्रधानमंत्री नहीं बन पाए तो पार्टी में उनकी भूमिका क्या रहेगी, आडवाणी ने कहा, "यह तो पार्टी पर निर्भर करता है कि वह मुझसे क्या अपेक्षा रखती है। हालांकि मैंने पहले राजनीति छोड़ने की योजना बनाई थी। नवम्बर 2007 का वह दिन याद है जब अपनी पुस्तक लिखने के दौरान मुझे महसूस हुआ था कि अपने जीवन के 80 बरस पूरे कर लेना पर्याप्त है और अब इसे छोड़ देना चाहिए। यदि ऐसी स्थिति पैदा हुई तो फिर मैं एक निर्णय लूंगा।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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